व्यापार

सरकार के आला अफसर ने जताया भरोसा, Cooking Oil की कीमतो में होगी कमी

Bhumika Sahu
4 Sep 2021 5:14 AM GMT
सरकार के आला अफसर ने जताया भरोसा, Cooking Oil की कीमतो में होगी कमी
x
Cooking Oil Prices भारत में ज्यादातर पामतेल और सोयाबीन तेल का प्रमुखता से आयात किया जाता हैं। भारतीय बाजार में पाम तेल की हिस्सेदारी करीब 30-31 प्रतिशत जबकि सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत तक है। विदेशों में दाम बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर पड़ता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में खुदरा खाद्य तेल की कीमतें (Cooking Oil Prices) नई फसल आने और वैश्विक कीमतों में संभावित गिरावट के साथ दिसंबर से नरम होनी शुरू हो जाएंगी। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि भारत अपनी जरूरत के 60 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात करता हैं। वैश्विक घटनाक्रम के चलते देश में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें पिछले एक वर्ष में 64 प्रतिशत तक बढ़ गई।

पांडे ने कहा, ''वायदा बाजार में दिसंबर महीने में डिलीवरी वाले Cooking Oil Prices में गिरावट के रुझान को देखते हुए, ऐसा लग रहा है कि खुदरा कीमतों में गिरावट शुरू हो जाएगी। लेकिन, इसमें कोई नाटकीय गिरावट नहीं होगी क्योंकि वैश्विक दबाव तो बना रहेगा।'' उन्होंने कहा कि नई फसलों की आवक और वैश्विक कीमतों में संभावित गिरावट से खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में नरमी आने में मदद मिलेगी।
घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में तेज बढ़ोतरी की वजह बताते हुए सचिव ने कहा कि एक प्रमुख कारण यह है कि कई देश अपने खुद के संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए जैव ईंधन नीति को आक्रमक ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, मलेशिया और इंडोनेशिया, जो भारत को पामतेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हैं, अपनी जैव ईंधन नीति के लिए पामतेल का उपयोग कर रहे हैं। इसी तरह अमेरिका भी सोयाबीन का जैव ईंधन बनाने में इस्तेमाल कर रहा है।
भारत में ज्यादातर पामतेल और सोयाबीन तेल का प्रमुखता से आयात किया जाता हैं। भारतीय बाजार में पाम तेल की हिस्सेदारी करीब 30-31 प्रतिशत जबकि सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत तक है। ऐसे में विदेशों में दाम बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बीते हफ्ते सोयाबीन तेल की वैश्विक कीमतों में 22 प्रतिशत और पाम तेल में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन भारतीय बाजार पर इसका प्रभाव दो प्रतिशत से भी कम रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने खुदरा बाजारों में कीमतों को स्थिर रखने के लिए अन्य कदमों के अलावा आयात शुल्क में कटौती जैसे कई अन्य उपाय किए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तीन सितंबर को पाम तेल की खुदरा कीमत 64 प्रतिशत बढ़कर 139 रुपये हो गई जो एक साल पहले 85 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
इसी तरह, सोयाबीन तेल का खुदरा मूल्य 51.21 प्रतिशत बढ़कर 155 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो पहले 102.5 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि सूरजमुखी तेल का खुदरा मूल्य 46 प्रतिशत बढ़कर 175 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो एक साल पहले 120 रुपये प्रति किलो था।
खुदरा बाजारों में सरसों तेल की कीमत तीन सितंबर को 46 प्रतिशत बढ़कर 175 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 120 रुपये प्रति किलोग्राम थी। मूंगफली तेल 26.22 प्रतिशत बढ़कर 180 रुपये प्रति किलो हो गया। एक साल पहले यह 142.6 रुपये प्रति किलो पर था।
सचिव ने कहा, ''हालांकि सरसों का उत्पादन बढ़ा है, फिर भी अन्य खाद्य तेलों से संकेत लेकर कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।'' साफ्टा समझौते के तहत नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते किसी तीसरे देश के तेल को यहां लाने के बारे में उन्होंने कहा, ''यह चिंता उठाई गई है और इस मामले को दोनों ही देशों के समक्ष उठाया गया है।'' सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार, देश में नवंबर 2020 और जुलाई 2021 के बीच 93,70,147 टन खाद्य तेल का आयात किया।



Next Story