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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञानिकों ने 20 फरवरी तक के लिए एक नई एडवाइजरी (Farmers advisory) जारी की है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञानिकों ने 20 फरवरी तक के लिए एक नई एडवाइजरी (Farmers advisory) जारी की है. इसे मानकर किसान भाई-बहन खेती में अच्छा कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों (Farmers) को फसलों तथा सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई (Irrigation) करने की सलाह दी है. इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए ही किसानों को यह भी सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें. बुवाई से पहले खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. बीज की मात्रा 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ होगी.
मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं (Wheat) की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें. काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें. पीला रतुआ के लिए 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उप्युक्त है. 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से उपर रोग का फैलाव नहीं होता. जबकि भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी वाली जलवायु आवश्यक है. काला रतुआ के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान और नमी रहित जलवायु आवश्यक है.
सब्जियों की फसलों पर छिड़काव करें
वर्तमान शुष्क तथा बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल ( Mustard Crop) में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें. इस कीट के नियंत्रण के लिए वे सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुड़ाई के बाद स्प्रे करें. सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें. बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें.
बीजों के अंकुरण के लिए उपयुक्त है तापमान
मौसम को ध्यान में रखते हुए फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली मूली इत्यादि की सीधी बुवाई हेतु वर्तमान तापमान अनुकूल है. क्योंकि बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं. किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें. इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई हेतु किसान किसी प्रमाणित स्रोत से उन्नत बीजों को खरीदें. मूंग–पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पीडीएम-11, एसएमएल-32, उड़द–पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35 एवं पीडीयू-1 की बुवाई करें. बुवाई से पहले बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बैक्टीरिया से अवश्य उपचार करें.
प्याज में लग सकता है रोग
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई इस सप्ताह कर सकते हैं. इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें. कीट के पाए जाने पर कानफीडोर @ 0.5 मिली/ 3 ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1.0 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें. नीला धब्बा रोग की निगरानी करते रहें. रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा/ली पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें.
इस तरह करें निदान
मौसम को ध्यान में रखते हुए टमाटर के फलों को फली छेदक कीट से बचाव के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए. वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें. साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन ट्रैप @ 2-3 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाएं. इस मौसम में बैंगन की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./ 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
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