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इस युवा किसान ने किया कमाल, पहले सीजन में कर ली 6 लाख की कमाई
Apurva Srivastav
6 Jun 2021 10:36 AM GMT
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इस किसान ने शुरू की बागवानी
त्रिपुरा के बिक्रमजीत चकमा के बारे में सुना आपने? इनकी उम्र 32 साल है, लेकिन खेती में चकमा ने बड़ा काम किया है. चकमा ने बड़ी चुनौती लेते हुए कश्मीर के स्थानीय बेर सेब की खेती त्रिपुरा में शुरू की. कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा रहा कि उन्हें एक सीजन में 6 लाख रुपये तक की कमाई हुई. चमका को देखकर त्रिपुरा के अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं. अब अन्य किसान भी बेर सेब की खेती पहाड़ी और राज्य त्रिपुरा में शुरू करना चाहते हैं.
त्रिपुरा उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल है जहां मुख्य पेशा खेती है. बिक्रमजीत चकमा ने बेर सेब की खेती को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया. चकमा ने सेब की इस कश्मीरी वेरायटी को अपने 1.25 एकड़ खेत में लगाया और शुरू में 3.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया. चकमा की मेहनत और कामयाबी को देखते हुए मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने भी उनकी खूब तारीफ की. बिक्रमजीत चकमा त्रिपुरा के पूर्वी जिले पेंचरथाल के रहने वाले हैं. बेर सेब की खेती के बारे में उन्हें बांग्लादेश से जानकारी मिली. चकमा ने पाया कि जिस तरह की जलवायु बांग्लादेश में है, वैसी ही त्रिपुरा में भी है. बेर सेब की खेती बांग्लादेश में भी होती है. इस आधार पर चकमा ने त्रिपुरा में खेती शुरू कर दी.
इस किसान ने शुरू की बागवानी
बिक्रमजीत चकमा के मुताबिक, उन्होंने इंटरनेट पर पाया कि बांग्लादेश में बेर सेब की खेती बहुतायत में होती है और किसानों को बंपर उपज के साथ अच्छा रिटर्न भी मिलता है. चकमा ने इसकी तैयारी शुरू कर दी और फौरन पश्चिम बंगाल पहुंचे. वहां से 1300 बेर सेब के पौधे खरीदे. इसकी लागत तकरीबन 2.5 लाख रुपये आई. इन पौधों को चकमा ने पिछले साल मार्च महीने में अपने खेत में लगाया. इस साल जनवरी में खेतों से बेर सेब की पैदावार निकलने लगी. चकमा ने बाजार और मंडियों में इसे बेचकर 6 लाख रुपये तक की कमाई कर ली है.
सब्जी की खेती से कमाई नहीं
चकमा के मुताबिक, उनके चाचा और दो चचेरे भाई आलू और गाजर की खेती करते हैं. वे और भी सीजनल सब्जी और फलों की खेती करते हैं. उनके पास भी उतनी ही जमीन है जितनी कि चकमा के पास. यानी कि चाचा और चचेरे भाई 1.25 हेक्टेयर खेत में आलू और गाजर की खेती कर महज साल में 12 हजार रुपये की कमाई करते हैं. दूसरी ओर चकमा ने उतने ही रकबे के खेत में बेर सेब की खेती शुरू की. एक सीजन में 40 कुंतल बेर सेब की उपज प्राप्त हुई. इसमें 12 होलसेल मार्केट में और बाकी खुले बाजार में बेचे गए. चकमा ने प्रति किलो 115-120 रुपये की दर से बेर सेब की बिक्री की. चकमा कहते हैं कि उन्हें कतई भरोसा नहीं था कि वे इतनी ऊंची कीमत पर बेर सेब बेच पाएंगे.
उम्मीद से ज्यादा हुई कमाई
चकमा बताते हैं कि जब वे बंगाल से बेर सेब का पौधा खरीद कर ले आए तो भरोसा नहीं था कि इस कदर उपज मिलेगी और बाजार में इतनी रेट पर सेब बिक जाएंगे. चमका अब अगले सीजन में 80 कुंतल बेर सेब उगाने की तैयारी में लग गए हैं. मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने चकमा की खेती को क्रांतिकारी बताया है और इसे स्वरोजगार का एक नजराना भी कहा है. बिप्लब देब ने कहा कि चमका ने अपने दिमाग में खेती का एक फैंसी आइडिया पनपाया और उस दिशा में आगे बढ़ गए. 6 कानी (स्थानीय रकबे की भाषा) खेत में चकमा ने कश्मीरी सेब बेर की खेती शुरू की. चकमा को उम्मीद है कि अगले साल वही पुराने पेड़ डबल उपज देंगे.
बेकार जमीन पर फलों की खेती
चकमा की खेती ने त्रिपुरा में बागवानी को एक नई उम्मीद की किरण दी है. अब बेर सेब की खेती को यहां बढ़ावा दिया जाएगा और किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. बेरोजगार किसान बेर सेब से लाखों में कमाई कर सकते हैं. त्रिपुरा में लाखों हेक्टेयर जमीन बेकार पड़ी है जहां न तो खेती होती है और न ही बागवानी. अगर इन खेतों में बेर सेब के अलावा अन्य फलों की खेती शुरू हो जाए तो प्रदेश से गरीबी मिटाने में मदद मिलेगी. चमका की कामयाबी को देखते हुए बागवानी विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हैं कि फलों की खेती के लिए कोई दीर्घकालिक योजना बनाई जाए.
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