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टेक सॉल्यूशन प्रोवाइड कराने वाली देश की नामी कंपनी HCL ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए अपने प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों की सैलरी को रिव्यू न करने का फैसला लिया है. मैनेजमेंट की सैलरी कंपनी के वेतन बिल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. कंपनी ने ये निर्णय ऐसे समय में लिया है जब वो बेहद कठिन दौर से गुजर रही है. सबसे दिलचस्प ये है कि कंपनी का जून तिमाही में कमजोर प्रदर्शन रहा है.
क्या बोले कंपनी के सीईओ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की अर्निंग मीटिंग के दौरान विश्लेषकों से बात करते हुए, सीईओ और एमडी, सी.विजयकुमार ने कहा, इस साल, हमने प्रबंधन स्तर से शुरू होने वाले मुआवजे की समीक्षा को न करने का निर्णय लिया है. उन्होंने ये भी कहा कि हमने इस साल जूनियर से लेकर मध्यम वर्ग के कर्मचारियों के सैलरी रिव्यू को एक तिमाही के लिए स्थगित कर दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वहीं कंपनी के सीएफओ प्रतीक अग्रवाल के अनुसार, E4+ लेयर जिसमें सबसे वरिष्ठ कर्मचारी शामिल होते हैं, वो कंपनी के वेतन बिल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं.
चीफ पीपल ऑफिसर रामचंद्रन सुंदरराजन ने जूनियर से मध्यम स्तर के कर्मचारियों के बारे में कहा कि आम तौर पर, साल के इस समय में, हम वेतन समीक्षा को लेकर अपनी घोषणाएं करते हैं. पिछले कुछ वर्षों में हमने जो नियुक्तियां की हैं और मुआवजे की जो समीक्षा की है, हमने उसे ध्यान में रखा है और अपने एनुअल सैलरी रिव्यू को एक तिमाही के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है.
कैसे रहे हैं कंपनी के नतीजे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जैसा कि इंडस्ट्री के जानकारों को HCL के नतीजों से उम्मीद थी कि उसके विपरीत HCLTech ने Q1FY24 में कई मामलों में बड़ी चूक की है. इनमें प्रमुख रूप से एक ईबीआईटी मार्जिन था जो पहली तिमाही में गिरकर 16.9 प्रतिशत हो गया, जो पिछली तिमाही में 18.2 प्रतिशत था. अग्रवाल ने कहा कि मार्जिन में लगभग 36 बीपीएस की गिरावट Q1 में कम उपयोग दर के कारण हुई है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि कंपनी ने Q1 में अपने कुल कर्मचारियों की संख्या में 2,506 कर्मचारियों की गिरावट दर्ज की है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विजयकुमार ने कहा कि ऑपरेशनल प्रॉफिट में सुधार सुनिश्चित करने के लिए उपयोग दरों में सुधार एक महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकता है जो अंततः कंपनी को 18-19 प्रतिशत मार्जिन के साथ वित्त वर्ष 24 से बाहर निकलने में मदद करेगा.
अकेले HCL ने नहीं किया है ये निर्णय
सिर्फ HCL टेक ही नहीं, उसके प्रतिस्पर्धी इंफोसिस और विप्रो भी वेतन बढ़ोतरी में देरी कर रहे हैं. फिलहाल विप्रो ने अपने वेतन वृद्धि चक्र को तीसरी तिमाही या दिसंबर तिमाही तक रोक रखा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष के विपरीत सितंबर तिमाही में बढ़ोतरी की गई थी. विप्रो भी Q1 में अपने जूनियर स्तर के कर्मचारियों को वेरिएबल वेतन का केवल 80 प्रतिशत भुगतान करेगा, जोकि कंपनी के ओवरऑल परफॉरमेंस के साथ जुड़ा हुआ है.
वहीं दूसरी ओर इंफोसिस ने भी वेतन बढ़ोतरी को टाल दिया है, जो आम तौर पर अप्रैल में वरिष्ठ प्रबंधन से नीचे के कर्मचारी स्तर और जुलाई में वरिष्ठ प्रबंधन के लिए लागू की जाती है. इन दोनों वर्ग के कर्मचारियों को अभी तक इस पर कंपनी से कोई जानकारी नहीं मिली है. वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) क्योंकि उसने अपना प्रमोशन चक्र पहले ही शुरू कर दिया है और 1 अप्रैल से अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को 12-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की पेशकश की है. हालांकि, टीसीएस ने 200 से अधिक लेटरल को शामिल करने को टाल दिया है.
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