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नई दिल्ली: बेकाबू मंहगाई (Inflation) पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाना (RBI Repo Rate Hike) शुरू कर दिया है. मई में एमपीसी की आपात बैठक (RBI MPC Meeting) में रेपो रेट बढ़ाने के बाद जून में नियमित बैठक होने वाली है. जून की बैठक में भी रेपो रेट बढ़ाए जाने के पूरे अनुमान हैं. जानकार मानकर चल रहे हैं कि रिजर्व बैंक जून की बैठक के बाद भी रेपो रेट को बढ़ाना जारी रखेगा. इस बीच महंगाई को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने डीजल-पेट्रोल समेत कई चीजों पर ड्यूटी घटा (Diesel-Petrol Excise Duty Cut) दी है. इसके बाद अच्छे मॉनसून (Monsoon) के संकेत से भी रिजर्व बैंक को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है.
मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद व्यक्त की है. दक्षिण-पश्चिमी मानसून भारत में एग्रीकल्चर सेक्टर (Agri Sector) के लिए अहम माना जाता है. एग्रीकल्चर अकेला ऐसा सेक्टर है, जो कोविड महामारी से लगभग बेअसर रहा और करीब 4 फीसदी की दर से बढ़ा. अगर मानसून ठीक रहता है तो इससे फसलों की पैदावार बेहतर होगी, जो अंतत: महंगाई को मिड टर्म में कंट्रोल करने में मददगार साबित होगा. अभी महंगाई बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान खाने-पीने की चीजों का ही है.
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी महंगाई को काबू करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास किए हैं. सबसे पहले बदली परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने 13 मई को अचानक से सारे प्राइवेट गेहूं निर्यात (Wheat Export Ban) पर रोक लगाने का फैसला लिया. यह फैसला इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाता है कि हीट वेव के कारण 2022-23 में गेहूं की टोटल उपज का अनुमान 113.5 मिलियन टन से घटकर 105 मिलियन टन रह गया है. डीजल-पेट्रोल के दाम का असर लगभग सारी कमॉडिटीज पर होता है. इस कारण सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये की कटौती की. एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद सामानों की ढुलाई की लागत में भी कमी आने की उम्मीद है. इसके अलावा सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी पाबंदियां लगाई हैं और खाने के तेलों पर टैक्स कम किए गए हैं.
सरकार के इन ताबड़तोड़ फैसलों से महंगाई में ठीक-ठाक कमी आने का अनुमान है. इसके बाद अच्छे मानसून के संकेत ने भी उम्मीद की किरण दिखाई है. इन कारणों से उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक के ऊपर रेपो रेट को बढ़ाने का प्रेशर कुछ कम होगा. मई में 0.40 फीसदी बढ़ाए जाने के बाद अनुमान जताया जा रहा है कि जून में रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया जा सकता है. सरकार के फैसलों और मानसून का असर इसके बाद दिखने लग जाएगा, तो जून के बाद रिजर्व बैंक के ऊपर रेपो रेट बढ़ाने का प्रेशर हल्का होगा. रेपो रेट कम बढ़ने से लोगों के ऊपर ईएमआई का बोझ भी कम बढ़ेगा.
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