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पीएम किसान सम्मान निधि योजना का पैसा
पीएम किसान सम्मान निधि (PM KISAN SAMMMAN NIDI SCHEME)योजना की 10 वीं किस्त का किसानों को इंतजार है। इस बीच कई किसानों के आवेदन में डेटा करेक्शन भी हो रहे हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि कई बार छोटी सी गलती, आपकी पात्रता को निरस्त कर सकती है।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के जरिए किसानों को खेती के काम में मदद के लिए हर साल 6000 रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाते हैं। लेकिन अगर कोई किसान खेती की जमीन पर खेती नहीं कर रहा है, और उसका इस्तेमाल दूसरे काम के लिए किया जा रहा है, तो उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
योजना के अनुसार लाभार्थी की पात्रता आंकने की डेडलाइन एक फरवरी 2019 है। उसके आधार पर ही पीएम किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों का चयन किया गया है। इस पात्रता में अगले 5 साल तक कोई बदलाव नहीं होगा। केवल भू-स्वामी की मृत्यु पर मालिकाना हक बदलने में ही पात्रता बदली जा सकेगी।
देश में किसानों का एक बड़ा वर्ग है जो बटाईंदार के रूप में खेती करता है। इसमें किसानों की बड़ी तादाद ऐसी भी है, जिनके स्वामित्व में जमीन नहीं है। यानी जमीन उनके नाम से नहीं है। ऐसे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिलता है। क्योंकि योजना का लाभ पाने के लिए किसानों के नाम से जमीन होना जरूरी है।
पीएम किसान के नियमों में हाल ही में बदलाव किया गया है। अब किस्त की राशि पाने के लिए ई-केवाईसी जरूरी हो गया है। ऐसे में 10 वीं किस्त के लिए ई-केवाईसी कराना जरूरी है।
योजना की शुरुआत किसान परिवारों के लिए की गई है। ऐसे में परिवार का एक ही सदस्य योजना का लाभ हासिल कर सकता है। पति और पत्नी दोनों इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं, उनमें से केवल एक ही यानी पति या पत्नी योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
गलत जानकारी देकर अगर कोई व्यक्ति योजना का लाभ लेता है, तो उसका न केवल आवेदन निरस्त किया जाएगा, बल्कि उसे दी गई राशि भी वसूली जाएगी। हालांकि इस पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा।
पीएम किसान सम्मान निधि के डैशबोर्ड के अनुसार महाराष्ट्र , हरियाणा, पश्चिम बंगाल, ओडीसा, नागालैंड ऐसे राज्य हैं जहां पर 100 फीसदी पात्र लोगों को भुगतान किया जा चुका है। जबकि केरल,बिहार, उत्तराखंड में 99 फीसदी, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में 94 फीसदी, अरूणाचल प्रदेश में 92 फीसदी भुगतान हुआ है। हिमाचल प्रदेश में 92 फीसदी, राजस्थान में 92 फीसदी, गुजरात में 86 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 82 फीसदी , अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 89 फीसदी भुगतान हुआ है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, छत्तीसगढ़ में 60-80 फीसदी तक भुगतान हुआ है। वहीं असम, मिजोरम, झारखंड में 40-60 फीसदी तक भुगतान हुआ है। वहीं लक्षद्वीप में 0 फीसदी भुगतान हुआ है।
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