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एक बड़े बैंक के आधे से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है. अगले महीने इन कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमाई जा सकती है. स्विटजरलैंड के सबसे बड़े बैंकों में शुमार रहे क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) को डूबने से बचाने के लिए उसके प्रतिद्वंदी यूबीएस समूह ने उसका अधिग्रहण किया था. उस समय कहा जा रहा था कि क्रेडिट सुइस के स्टाफ पर शायद आंच न आए, लेकिन UBS ग्रुप ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. अगले महीने से क्रेडिट सुइस की कुल वर्कफोर्स को घटाकर आगे से भी कम कर दिया जाएगा.
इतनी कम होगी Workforce
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन, न्यूयॉर्क और एशिया के कुछ हिस्सों में क्रेडिट सुइस के बैंकर्स और सपोर्ट स्टाफ की नौकरी जा सकती है. यूबीएस ग्रुप संयुक्त कर्मचारी बल की संख्या को लगभग 30% या 35000 तक घटा सकता है. क्रेडिट सुइस में कर्मचारियों की संख्या वर्तमान में लगभग 45000 है. हालांकि, इस संबंध में दोनों की बैंकों की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है. बता दें कि अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के बाद वैश्विक वित्तीय मंदी के खतरे के बीच 19 मार्च को स्विस सरकार ने क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण की व्यवस्था की थी. इस बैंक के अधिग्रहण के लिए UBS ग्रुप ने दिलचस्पी दिखाई थी, जिसपर सरकार ने मुहर लगा दी.
भारत में इतना है स्टाफ
अब जब ये खबर सामने आई है कि क्रेडिट सुइस बैंक के एशिया के कुछ हिस्सों के कर्मचारी भी छंटनी की जद में आ सकते हैं, तो भारत में बैंक के स्टाफ का चिंतित होना लाजमी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में क्रेडिट सुइस के कर्मचारियों की संख्या 15000 के आसपास है. इनमें से 5 से 7 हजार बैंक के डायरेक्शन ऑपरेशन से जुड़े हैं. जबकि बाकी बैंक के ग्लोबल आईटी ऑपरेशन से ताल्लुख रखते हैं. इस स्विस बैंक के छह भारतीय शहरों में ऑफिस हैं. इसमें मुंबई, पुणे, गुरुग्राम, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता शामिल हैं. बैंक के मुंबई, पुणे और गुरुग्राम ऑफिस के कर्मचारी सीधे तौर पर बैंक के दिन-प्रतिदिन के कामकाज से जुड़े हुए हैं.
क्या बंद हो जाएगा ऑपरेशन?
क्रेडिट स्विस के पास भारत में धन प्रबंधन, निवेश बैंकिंग और ब्रोकरेज सेवाओं का लाइसेंस है. यह शेयरों के ऐवज में व्यवसायों को फंडिंग देने के मामले में भी बहुत सक्रिय है. मार्च 2022 तक, स्विस लेंडर के पास भारत में 2,800 करोड़ रुपए का डिपॉजिट बेस था. अभी ये स्पष्ट नहीं है कि UBS भारत में क्रेडिट सुइस के ऑपरेशन को जारी रखेगा या नहीं. वहीं, भारत में यूबीएस का ऑपरेशन बहुत छोटा रहा है, बैंक ने 2013 में देश में अपनी एकमात्र शाखा बंद कर दी थी. इसके बाद इसने एक नकद इक्विटी व्यवसाय चलाया जिससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को पार्टिसिपेटरी नोट्स के माध्यम से देश में लेनदेन करने की अनुमति मिली. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि UBS को भारत में शायद इतने लोगों की आवश्यकता नहीं होगी. इसलिए यहां छंटनी हो सकती है.
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