सम्पादकीय

स्टूडेंट्स की तो सोचिए

Subhi
9 Aug 2022 3:18 AM GMT
स्टूडेंट्स की तो सोचिए
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एनटीए ने कह दिया है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अब 28 अगस्त तक होंगे। 24 अगस्त से 28 अगस्त तक के इस आखिरी राउंड टेस्ट की व्यवस्था उन स्टूडेंट्स के लिए की गई

नवभारत टाइम्स; एनटीए ने कह दिया है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अब 28 अगस्त तक होंगे। 24 अगस्त से 28 अगस्त तक के इस आखिरी राउंड टेस्ट की व्यवस्था उन स्टूडेंट्स के लिए की गई है, जो पिछले हफ्ते हुई तकनीकी गड़बड़ियों और अन्य कारणों से परीक्षाएं रद्द किए जाने से प्रभावित हुए हैं। देखा जाए तो 12वीं करने वाले बहुत से स्टूडेंट्स के लिए यह साल तनावों और अनिश्चितताओं का अंतहीन सिलसिला साबित हो रहा है। महामारी की अनिश्चितताओं से पार पाने के बाद 12वीं की परीक्षा से गुजरे नहीं कि सीयूईटी की एक नई परीक्षा सामने आ गई। जब परीक्षा की तारीख आई और एग्जामिनेशन सेंटर पहुंचे, तब भी दिक्कतों ने पीछा नहीं छोड़ा। सर्वर की समस्या रही, पेपर डाउनलोड करने में मुश्किलें आईं और सिक्यॉरिटी प्रोटोकॉल तो आफत बने ही हुए थे। इन सबके बाद करीब 10 फीसदी सेंटरों की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं। एनटीए ने इसका कारण तकनीकी गड़बड़ियों को बताया है। यूजीसी के चेयरमैन कह रहे हैं कि जानबूझकर गड़बड़ियां किए जाने की भी सूचनाएं मिली हैं और इन सबके बीच स्टूडेंट्स के हितों को केंद्र में रखकर ही यह फैसला किया गया है।

सच जो भी हो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एनटीए की ओर से इन परीक्षाओं के लिए जैसी तैयारियों की जरूरत थी, वैसी तैयारियां नहीं की जा सकीं। और, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ध्यान रखना चाहिए कि यह किसी भी अन्य संयुक्त परीक्षाओं जैसा मामला नहीं था। अन्य संयुक्त परीक्षाओं, उदाहरण के लिए जेईई में सिर्फ तीन विषय होते हैं, जबकि सीयूईटी-यूजी में 61 विषयों की परीक्षा 13 भाषाओं में होती है। जाहिर है, इसके लिए कहीं ज्यादा बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और ज्यादा सक्षम सॉफ्टवेयर सपोर्ट की जरूरत थी। भूल सुधार के रूप में अब स्टूडेंट्स की सहूलियत के लिहाज से कई कदम उठाने की बात कही गई है। उदाहरण के लिए, इस बार एग्जामिनेशन सेंटरों पर क्वेश्चन पेपर जल्दी भिजवा दिए जाएंगे, बैकअप सर्वर तैयार रखा जाएगा और सेंटर के बाहर स्टूडेंट्स-पैरंट्स की मदद के लिए अतिरिक्त स्टाफ भी रखे जाएंगे। ये सारे कदम अच्छे हैं, लेकिन ये पहले ही उठाए जाने चाहिए थे। ऐसे ही यह सवाल भी पूछा जाएगा कि जिन सेंटरों को परीक्षा के दौरान डीलिस्ट करना पड़ा, क्या उन्हें लिस्ट में शामिल करना ही गलत नहीं था? दिक्कत यह भी है कि सीयूईटी की इन गड़बड़ियों के चलते एडमिशन प्रॉसेस में देर होने वाली है, जिसका असर यूनिवर्सिटियों के अकादमिक सत्र पर भी पड़ सकता है। बहरहाल, सीयूईटी एक नया प्रयोग है, जिसमें कुछ हद तक गड़बड़ियों को स्वाभाविक मानना होगा। लेकिन इन्हें जल्द से जल्द ठीक करने का दायित्व भी तभी अच्छे से पूरा हो पाएगा, जब इस दौर की गड़बड़ियों की जिम्मेदारी तय की जाए।


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