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इन पांच व्यवसायों ने दोस्तों द्वारा किये शुरू, अब देश में फहराए सफलता के परचम

Deepa Sahu
29 July 2021 11:51 AM GMT
इन पांच व्यवसायों ने दोस्तों द्वारा किये शुरू, अब देश में फहराए सफलता के परचम
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जिस व्यक्ति से हम अपना सुख-दुख बांट सके उस व्यक्ति को मित्र कहा जाता है।

जिस व्यक्ति से हम अपना सुख-दुख बांट सके उस व्यक्ति को मित्र कहा जाता है। व्यवसाय में अगर आपका पार्टनर आपका सबसे अच्छा दोस्त हो तो सभी चीजें आसान हो जाती हैं, खासकर तब जब आप एक नया व्यवसाय शुरू कर रहे हों। कई पेशेवर व्यवसाय आपको करीबी दोस्तों के साथ व्यवसाय शुरू करने की चेतावनी देते हैं लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी कंपनियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दोस्तों ने शुरू की थीं और आज ये बेहद सफल हैं। इस साल फ्रेंडशिप डे एक अगस्त 2021 को मनाया जाएगा। इस मौके पर आइए जानते हैं दोस्तों द्वारा शुरू की गई कंपनियों के बारे में।

फ्लिपकार्ट
साल 2007 में सचिन बंसल ने अपने स्कूल के दोस्त बिन्नी बंसल के साथ बंगलूरू के एक सिंगल रूम अपार्टमेंट से फ्लिपकार्ट की शुरुआत की थी। ऑनलाइन ई-कॉमर्स स्टोर ने किताबें बेचने से अपना व्यवसाय शुरू किया था और बाद में कंपनी ने इस श्रेणी में व्यापक रूप से विस्तार किया। कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स फैशन, लाइफस्टाइल, आदि उत्पाद बेचने शुरू किए। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापकों में से एक, सचिन पहले अमेजन इंडिया में काम करते थे।
दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनियों में से एक वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर लिया था। उसने भारत के रिटेल बाजार में पैठ जमाने के लिए ऐसा किया था। भारत में कंपनी का मुकाबला अमेजन से है। मालूम हो कि वॉलमार्ट अपनी भारतीय इकाई फ्लिपकार्ट का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। हालांकि अभी आईपीओ को पेश करने का समय तय नहीं हुआ है।
ओला
आईआईटी-मुंबई बैच के दो साथियों- भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी ने ओला कैब्स की स्थापना की थी। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद भाविश अग्रवाल माइक्रोसॉफ्ट इंक के लिए काम करने चले गए और दूसरी ओर अंकित भाटी ने मेक सेंस और विलकॉम सहित कई स्टार्टअप कंपनियों के लिए काम किया। माइक्रोसॉफ्ट में दो साल बिताने के बाद भाविश ने एक ऑनलाइन हॉलिडे और टूर प्लानिंग सेवा शुरू की और अंकित, जो यात्रा के प्रति उत्साहित थे, उसके साथ जुड़ गए।
साल 2010 में दोनों ने मिलकर ओला ट्रिप्स की शुरुआत की। दोनों ने मिलकर हर चीज संभाली। भाविश ने नए ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश की, वहीं अंकित ने वेबसाइट पर काम किया। दोनों ने समान रूप से ओला को कामयाब करने के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन जब दोनों ने महसूस किया कि लोग हवाई अड्डे, अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के लिए कैब बुक करने के इच्छुक हैं और इंटरनेट पर सोशल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में सक्षम हैं, तो उन्होंने ओला शुरू की।
जोमैटो
आईपीओ को लेकर जोमैटो पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। डिलीवरी के अलावा अपने प्लेटफॉर्म पर विभिन्न रेस्टोरेंट के मेन्यू उपलब्ध कराने वाली कंपनी जोमैटो आईआईटी- दिल्ली के दो छात्रों दीपेंद्र गोयल और पंकज चड्ढा द्वारा शुरू की गई थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों ने बेन एंड कंपनी में कंसल्टेंट की नौकरी की थी। उसी ऑफिस के कैफे में उन्हें इसका आइडिया आया। जब लंच टाइम में उन्होंने देखा कि मेन्यू देखने के लिए और खाना ऑर्डर करने के लिए कर्मचारी कितना परेशान हैं। यहीं से उनके दिमाग में एक ऑनलाइन वेबसाइट का आइडिया आया।
दीपेंद्र ने अपने दोस्त पंकज के साथ मिलकर एक ऐसी वेबसाइट बनाने की सोची, जिसमें उस इलाके के सभी रेस्टोरेंट के मेन्यू की जानकारी लोगों को आसानी से मिल सके। पहले उन्होंने कंपनी का नाम फूडीबे रखा था, जिसे नवंबर 2010 में बदलकर जोमैटो किया गया। देखते ही देखते उनकी वेबसाइट पर काफी ट्रैफिक आने लगा।
स्नैपडील
जोमैटो, ओला और फ्लिकार्ट की ही तरह स्नैपडील भी दो दोस्तों ने मिलकर खोली थी। अमेरिका में काम साल 2008 में माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व कर्मचारी कुणाल बहल भारत लौटे। स्नैपडील की स्थापना से पहले भारत में उन्होंने अपने सबसे अच्छे दोस्त रोहित बंसल के साथ चार सालों तक विभिन्न व्यवसायों में प्रयोग किया। फिर उन्होंने स्नैपडील को डिस्काउंट कूपन और दैनिक सौदों की वेबसाइट के रूप में स्थापित किया। भारत में फ्लिपकार्ट की सफलता को देखने के बाद, 2012 में कुणाल स्नैपडील को एक पारंपरिक ई-कॉमर्स में बदलना चाहते हैं। पांच वर्षों में कई बिजनेस मॉडल को सफलतापूर्वक बदलने के बाद उन्होंने फ्लिपकार्ट और अमेजन की सहायक कंपनी के रूप में स्नैपडील को संयुक्त रूप से स्थापित किया। देखते ही देखते दो दोस्तों की ये कंपनी प्रसिद्ध हो गई।
बेवकूफ डॉट कॉम
बेवकूफ डॉट कॉम की स्थापना की कहानी भी अन्य कंपनियों की तरह ही दिल्चस्प है। इसकी कहानी कॉलेज से शुरू हुई। आईआईटी-बॉम्बे से सिविल इंजीनियरिंग स्नातकों, प्रबकिरण सिंह और सिद्धार्थ मुनोट ने अपने कॉलेज के उत्सवों में टी-शर्ट प्रिंट करना शुरू किया और उन्हें अपने साथियों से अच्छी मात्रा में ऑर्डर और सर्वश्रेष्ठ प्रतिक्रिया मिली। लेकिन उस समय वे इसे एक व्यवसाय के रूप में जारी रखना नहीं चाहते थे।
लेकिन जब उनका कॉलेज समाप्त हुआ, तो दोनों ने दोबारा इसे शुरू किया और साल 2012 अप्रैल में बेवाकूफ लॉन्च की गई। संयुक्त स्टार्टअप, जो कपड़ों और मोबाइल फोन बेचती है, ग्राहकों से जुड़ने के लिए अपने उत्पादों पर अपनी विशिष्टता, मजेदार कोट्स और आउट-ऑफ-द-बॉक्स मैसेजिंग पर भरोसा करती है। ग्राहकों को उनके उत्पादों की कीमत और उनका अलग कॉन्सेप्ट पसंद आने लगा। शुरुआत में, यह केवल 30,000 रुपये के मूल निवेश के साथ शुरू हुई थी और फिर इसे स्नैपडील के संस्थापक कुणाल बहल से समर्थन मिला।
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