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इन किसानो ने मशरूम की खेती 5000 रुपये से शुरू कर कमाए करोड़ो रुपयों की रकम

Admin4
8 Aug 2021 2:03 PM GMT
इन किसानो ने मशरूम की खेती 5000 रुपये से शुरू कर कमाए करोड़ो रुपयों की रकम
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महज 5000 रुपये से मशरूम की खेती शुरू की थी और अब सालाना 10 करोड़ रुपये कमा रहे हैं. जी हां, मशरूम ने मोहाली के इस किसान को मालामाल कर दिया. इस किसान का नाम है- विकास बनाल. आइए जानते हैं इस किसान की सफलता की कहानी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Bumper Earning by Mushroom Farming: खेती-किसानी को ज्‍यादातर लोग कमाई का बढ़िया जरिया नहीं मानते हैं. ज्यादातर युवाओं से करियर के बारे में पूछा जाए तो सामान्यत: उनका जवाब खेती तो नहीं ही होगा. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि खेती से करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं तो क्या आप विश्वास कर पाएंगे? शायद नहीं!

लेकिन हम यहां एक ऐसे किसान की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 1990 में महज 5000 रुपये से मशरूम की खेती शुरू की थी और अब सालाना 10 करोड़ रुपये कमा रहे हैं. जी हां, मशरूम ने मोहाली के इस किसान को मालामाल कर दिया. इस किसान का नाम है- विकास बनाल. आइए जानते हैं इस किसान की सफलता की कहानी.
AC वाले चैंबर में कर रहे हैं मशरूम का उत्पादन
मशरूम उत्पादक किसान विकास बनाल बताते हैं कि फिलहाल वे मोहाली में ऑटोमेटिक उपकरणों का इस्तेमाल कर मशरूम उत्पादन का काम कर रहे हैं. मशरूम को AC की ठंडी हवा वाले एक चैंबर में उगाया जाता है. वे बताते हैं कि यह सब ऑटोमेटिकली ऑपरेट किया होता है. चैंबर में लगी ट्रॉली की भूमिका इसमें अहम होती है.
दरअसल, कमरे के भीतर मशरूम लगाने के लिए एक के ऊपर एक पांच अलग-अलग लेवल तैयार किए गए हैं, जिससे कि एक संकुचित स्थान में भी अच्छी तादात में मशरूम की पैदावार की जा सकती है. मशरूम को लगाने से लेकर फसल तैयार होने तक के ऑटोमेटिक ट्रॉली के जरिए ही सारा काम निपटाया जाता है. यानि ट्रॉली पर खड़े होकर वर्कर हर लेवल पर जाकर अपना कार्य संभालता है.
मशरूम की खेती में बढ़ी है संभावनाएं.. क्योंकि
भारत में भी तेजी से बढ़ रही है मशरूम की खपत
देश में 4.87 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मशरूम उत्पादन
इस साल 6 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने की है उम्मीद
पहले सर्दियों में झोपड़ी में ही उगाई जाती थी मशरूम
अब एसी प्लांट में मशरूम उगाने का बढ़ा प्रचलन
मोहाली में ऑटोमेटिक कम्प्यूटराइज्ड प्लांट में उग रही है मशरूम
निर्यात के लिए मोहाली में पहला पूर्ण स्वचालित कम्प्यूटराइज्ड प्लांट
शिटाके मशरूम की खेती कर बनाई पहचान
विकास बनाल ने मशरूम की खेती में उत्तम प्रयास कर अपनी पहचान तो बनाई ही है साथ ही साथ देश का नाम भी रोशन किया है. विकास का नाम भारत में 'शिटाके मशरूम' उगाने वालों में सबसे पहले लिया जाता है.
शिटाके मशरूम' का मतलब है 'वुड फंजाई' यानि इसका सब-स्टेट वुड है. इसे वुड लॉग्स के ऊपर पैदा किया जा सकता है या फिर वुड चिप्स के ऊपर भी. शिटाके मशरूम का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह एक मेडिसिनल मशरूम है यानि इस मशरूम का इस्तेमाल दवा तैयार करने में किया जाता है. इसकी खेती सबसे ज्यादा जापान में होती है.
बेल्जियम से मंगवाया शेल्फ और अन्य सामान
विकास बनाल बताते हैं कि वे मशरूम की पैदावार को और अधिक बढ़ाने के लिए दो चेंबर और तैयार करवा रहे हैं. उन्हें तैयार होने में करीब एक महीने का समय लग सकता है. मशरूम उगाने का कार्य एल्मोनियम शेल्फ पर किया जाता है, जो भारत में तैयार नहीं होती. इसलिए इसे अन्य देशों से आयात किया जाता है. विकास बताते हैं कि उन्होंने सारा सामान बेल्जियम से मंगवाया है. वे बताते हैं कि एक चेंबर में मशरूम की करीब चार शेल्फ आती है, जिसमें पांच अलग-अलग लेवल तैयार किए जाते हैं.
मशरूम के लिए कंपोस्ट प्लांट
उन्होंने बताया कि वे मशरूम फार्मिंग तो ऑटोमेटिकली ही कर रहे हैं. साथ ही साथ मशरूम लगाने के लिए ऑटोमेटिक्ली कम्पोस्ट तैयार करने का काम भी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि मशरूम फार्मिंग का मतलब 'बायो कन्वर्जन ऑफ एग्रीकल्चर रेसिड्यूज (कृषि अवशेष) इन्टू हेल्थ फ्रूट' है. इसलिए वे कृषि अवशेष की मदद से मशरूम की खेती में इस्तेमाल होने वाला कंपोस्ट तैयार करते हैं.
ऐसे खाद तैयार करते हैं विकास
उन्होंने बताया कि खाद तैयार करने के लिए सबसे पहले कृषि अवशेष को गीला किया जाता है, इसके बाद उन्हें मिक्स किया जाता है. मिक्सिंग के बाद लोडर की मदद से कन्वेयर बेल्ट से इसे उठाकर टनल के अंदर भर दिया जाता है, जहां इनका फर्मंटेशन होता है.
फर्मंटेशन के बाद इसका पाश्चरराइजेशन किया जाता है और फिर स्पॉनिंग होती है. स्पॉनिंग के बाद उन्हें वापस से ग्रोइंग रूम में ले जाया जाता है. विकास बताते हैं चूंकी मशरूम एक फंजाई है, अगर इसके लिए हाइजीन मेंटेन नहीं करेंगे तो कमोडिटी मोड्स आ जाते हैं और मशरूम ग्रो नहीं होती.


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