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मोदी राज में टूटी बजट से जुड़ी ये 5 परंपराएं, कुछ तो अंग्रेजों के जमाने से चल रही थीं

Tulsi Rao
28 Jan 2022 5:12 PM GMT
मोदी राज में टूटी बजट से जुड़ी ये 5 परंपराएं, कुछ तो अंग्रेजों के जमाने से चल रही थीं
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प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से देश की ज‍िम्‍मेदारी संभाली है. तब से लेकर अब तक उन्‍होंने अलग-अलग तरह की कई परंपराओं को बदला है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंग्रेजों के जमाने से बजट हर साल 28 फरवरी को पेश क‍िया जाता था. लेक‍िन अब यह 1 फरवरी को पेश क‍िया जाता है. पीएम मोदी के कार्यकाल में साल 2017 में तत्‍कालीन व‍ित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश क‍िया तो यह 1 फरवरी को पेश क‍िया गया. इस बदलाव की वजह यह थी क‍ि बजट से जुड़ी सभी प्रक्र‍ियाओं को नया व‍ित्‍त वर्ष शुरू होने से पहले पूरा कर ल‍िया जाए.

आम बजट का ह‍िस्‍सा बना रेल बजट
पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश क‍िए जाते थे. लेक‍िन 2016 में 1924 से चली आ रही यह परंपरा बदल गई. पहले इसे संसद में आम बजट से पहले रखा जाता था. लेक‍िन 2016 से रेल बजट भी यून‍ियन बजट का ही ह‍िस्‍सा होता है.
ब्रीफकेस से टैबलेट तक का सफर
आजाद भारत में 1947 में पहली बार व‍ित्‍त मंत्री आर सी के एस चेट्टी ने बजट पेश क‍िया तो वह दस्‍तावेजों को चमड़े से बने ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे. लेक‍िन 5 जुलाई 2019 को व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण लाल कपड़े के एक बस्‍ते (बही खाते) में बजट के कागजात लेकर पहुंचीं. कोरोना महामारी के चलते वह 2021 में टैबलेट लेकर पहुंची थी, यह ड‍िज‍िटल बजट था.
खत्‍म हुई पंच वर्षीय योजनाएं
मोदी सरकार ने 2015 में योजना आयोग को खत्‍म करके नीत‍ि आयोग का गठन क‍िया. इसके साथ ही देश में बनने वाली पंच वर्षीय योजनाएं भी खत्‍म हो गईं. ये योजनाएं देश के पहले प्रधानमंत्री पंड‍ित जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही थीं. लेकिन 2017 में इनका समापन हो गया.
टूटी हलवा सेरेमनी की परंपरा
कोव‍िड महामारी के कारण साल 2022 में बजट की छपाई शुरू होने से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी की रस्‍म भी नहीं हुई. मंत्रालय की तरफ से बताया गया क‍ि हलवा सेरेमनी के बजाय कोर स्‍टॉफ को उनके कार्यस्थलों पर 'लॉक-इन' से गुजरने के कारण मिठाई प्रदान की गई.


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