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रबी फसलों की सिंचाई में आएगी दिक्कत
12 जनवरी से राजस्थान के किसानों को सिंचाई के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. राज्य के पश्चिमी हिस्से के किसान इंदिरा गांधी नहर परियोजना पर सिंचाई के लिए निर्भर रहते हैं. लेकिन बाखरा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने 12 जनवरी से नहर में पानी नहीं छोड़ने की बात कही है. दरअसल, कांगड़ा के पोंग डैम और भाखरा नांगल डैम में पानी की कम उपलब्धता के कारण नहर में पानी छोड़ा जाएगा.
राजस्थान के अधिकारियों के साथ एक बैठक में भाखरा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने 12 जनवरी से सिंचाई के लिए नहर में पानी छोड़ने पर अपनी असमर्थता जताई है. इस साल डैम के कैचमेंट एरिया में काफी कम वर्षा हुई है. वहीं दिसंबर के महीने में भी बादल रुखे ही रहे. इस कारण डैम में पानी की मात्रा कम है. इसी वजह से मैनेजमेंट बोर्ड ने नहर में पानी नहीं छोड़ने की बात कही है.
हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिले के किसानों को होगी परेशानी
पोंग डैम में राजस्थान का हिस्सा 50 प्रतिशत है. लेकिन कम बारिश के वजह से डैम में पानी का संकट है. इन दोनों डैम का पानी राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के किसान सिंचाई के लिए उपयोग करते हैं. तीनों राज्यों से होकर डैम से निकलने वाली नहर गुजरती है.
मैनेजमेंट बोर्ड के साथ हुई बैठक में हिस्सा लेने वाले एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अगर बारिश होती है तो बोर्ड अपने निर्णय पर विचार करेगा वरना 12 जनवरी से राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में खासकर हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिले के किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
ट्यूबवेल से सिंचाई करने पर बढ़ जाएगी लागत
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को फरवरी के अंत तक रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता होती है. अगर समय पर सिंचाई का काम नहीं होता है तो पैदावार में कमी हो जाती है. इन दोनों जिलों के किसान बड़ी मात्रा में सरसों की खेती करते हैं. वहीं 1 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में गेहूं की भी बुवाई हुई है.
अभी तक किसान नहर में पानी आने के इंतजार में थे. लेकिन अब उन्हें सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. किसान अब ट्यूबवेल के सहारे सिंचाई की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि इससे हमारी लागत काफी बढ़ जाएगी और मुनाफा घट जाएगा.
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