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पास पर्याप्त संसाधन नहीं है और उन्हें चुनौतियों से पार पाने को लेकर वैश्विक समर्थन की जरूरत है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भविष्य में महामारी से निपटने के लिये तैयार करने को लेकर वित्तपोषण बढ़ाने का आग्रह किया. इंडोनेशिया के बाली में जी-20 (G-20) बैठक में 'ऑनलाइन' परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए सीतारमण ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है और उन्हें चुनौतियों से पार पाने को लेकर वैश्विक समर्थन की जरूरत है.
सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश होना चाहिए
उन्होंने वैश्विक सार्वजनिक सामानों के लिये वित्त जुटाने के बारे में विचार साझा करते हुए कहा, 'सुबह से और यहां तक कि इस पैनल में भी चर्चा के साथ यह अब और अधिक साफ है कि सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश अभी होना चाहिए.' सीतारमण ने कहा कि उदाहरण के लिये भारत ने अकेले स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं के लिये 29 अरब डॉलर आवंटित किए. इसमें गरीब और कम आय वाले लोगों के लिये स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी गई है.
विकास बैंकों से अधिक वित्तपोषण की जरूरत
उन्होंने कहा, 'बहुपक्षीय विकास बैंकों से अधिक वित्तपोषण की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जो 'रेजिलिएंट एंड सस्टेनेबिलिटी ट्रस्ट' बना रहा है, उसे महामारी को लेकर तैयारियों को ध्यान में रखना चाहिए.' प्रस्तावित 50 अरब डॉलर के कोष वाले आरएसटी का मकसद देशों की सहायता के लिये सस्ता और दीर्घकालीन वित्त सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि वे संरचनात्मक चुनौतियों से निपट सके.
उन्होंने कहा कि जी-20 की समिति ने कोष जुटाने को एक रूपरेखा देने में सराहनीय काम किया है. जो अंतर है, उसे आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) सहित अन्य साधनों से पूरा किया जा सकता है. सीतारमण ने यह भी कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को अपनी क्षमता का विस्तार करने और वैश्विक स्तर पर संसाधन जुटाने की जरूरत है. साथ ही महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना होगा.
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