
x
नई दिल्ली (आईएएनएस)| सेबी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के लिए डिस्क्लोजर के मानदंडों को और अधिक कठोर बनाने के हालिया प्रस्ताव से विदेशी निवेशकों के लिए कारोबार की आसानी को बढ़ावा देने के बारे में भारत के रवैये पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। बीडीओ इंडिया के फाइनेंशियल सर्विसेज टैक्स के पार्टनर और लीडर मनोज पुरोहित ने कहा कि पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी परामर्श पत्र में जोखिम-आधारित वर्गीकरण प्रस्तावित है।
किसी एक कंपनी ने अपनी इक्विटी एयूएम के 50 प्रतिशत से अधिक या भारतीय इक्विटी बाजारों में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने वाले एफपीआई को 'उच्च जोखिम' के रूप में वगीर्कृत किया जाएगा।
ऐसे एफपीआई को अपने स्वामित्व, आर्थिक हितों और नियंत्रण अधिकारों के बारे में अतिरिक्त जानकारी देने की आवश्यकता होगी, जिसके परिणामस्वरूप अतिरिक्त खुलासे और विदेशी फंडों के लिए अनुपालन बोझ होगा।
पुरोहित ने कहा कि कॉर्पोरेट का पर्दा हटाकर मुख्य व्यक्ति को देखने की एफपीआई संरचना में कुछ देशों के गोपनीयता संबंधी कानून चुनौती बनकर डिस्क्लोजर जरूरतों और अनुपालन के लिए एक बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
पुरोहित ने कहा कि मौजूदा विकास के माध्यम से नियामक चाहते हैं कि निधियों द्वारा अधिकतम खुलासे सुनिश्चित किए जा सकें ताकि इस बहस को खत्म किया जा सके कि एफपीआई में किसका और किस हद तक आर्थिक नियंत्रण और लाभकारी स्वामित्व हो सकता है।
उन्होंने कहा, "उम्मीद की जाती है कि अतिरिक्त डिस्क्लोजर की आवश्यकता और सेबी द्वारा की गई नियामकीय घोषणाओं को एफपीआई सही दिशा में ले जाएंगे, जो भारत की विकास गाथा की गति को और तेज करेगा।"
--आईएएनएस
Next Story