भोपाल। नई पेंशन योजना का राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा विरोध हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इसका भारी विरोध हो रहा है। इसका मुख्य कारण है कि सेवानिवृत्ति के पूर्व जो वेतन मिल रहा था। उस हिसाब से पेंशन मिलना तो दूरजो राशि पेंशन के रूप में मिल रही है। उससे माह भर का दूध भी नहीं खरीदा जा सकता है। ऐसी पेंशन का कोई फायदा नहीं है। इसलिए शासकीय कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के शासकीय शिक्षक संगठन ने नई पेंशन स्कीम का विरोध करते हुए कुछ आंकड़े सरकार को दिखाए हैं। 2005 के बाद सरकारी नौकरी में नए कैडर में शामिल हुए शासकीय शिक्षक पेंशन के नाम पर ठगे जा रहे हैं।
35000 वेतन - पेंशन 687
भोपाल के लंबाखेड़ा प्राइमरी स्कूल में रामविलास नगवे शिक्षक थे। उन्हें 35000 का वेतन मिल रहा था। 31 जनवरी 2020 को वह रिटायर हुए। उन्हें पेंशन के रूप में 687। 42 पैसे मिल रहे हैं।
गणेश राम मोदी रतलाम में प्राथमिक शिक्षक थे। उन्हें 60000 वेतन मिल रहा था। 30 अप्रैल 2022 को वह रिटायर हुए। उन्हें पेंशन के रूप में 1959 रूपये मिल रहे हैं।
अमर सिंह सोलंकी सीहोर में प्राथमिक शिक्षक थे। उनका वेतन 40000 प्रतिमाह था। 31 मई 2022 को सेवानिवृत्त हुए। पेंशन के रूप में उन्हें 1700 रूपये मिल रहे हैं।
रामस्वरूप देवलिया सीहोर में प्राथमिक शिक्षक के पद पर थे। 31 अक्टूबर 2023 को सेवानिवृत्त हुए। पेंशन के रूप में उन्हें मात्र 1836 रुपए मिल रहे हैं। नई पेंशन स्कीम के विरोध में कर्मचारी संगठन 10 साल में 500 से ज्यादा छोटे बड़े आंदोलन कर चुके हैं। लेकिन सरकार नई पेंशन योजना की खामियों को समझने के लिए तैयार ही नहीं है। नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को जो पेंशन दी जा रही है। वह ऊंट के मुंह में जीरा है। पेंशन से 1 माह के लिए चाय का खर्च भी नहीं निकल सकता है। शिक्षकों का कहना है कि उनके साथ सरकार बहुत बड़ा मजाक कर रही है।