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खाने के तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं, जानें वजह

Bhumika Sahu
18 Feb 2022 2:07 AM GMT
खाने के तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं, जानें वजह
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अगर आप पेट्रोल और डीजल के महंगा होने की आशंका से डरे हुए हैं, तो खाने के तेल की महंगाई को भी देख लीजिए. कई महीनों से खाने के तेल की महंगाई पीछा ही नहीं छोड़ रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप पेट्रोल और डीजल के महंगा होने की आशंका से डरे हुए हैं, तो खाने के तेल (Edible Oil) की महंगाई (Inflation) को भी देख लीजिए. कई महीनों से खाने के तेल की महंगाई पीछा ही नहीं छोड़ रही है. महंगे तेल की मार से जनता को बचाने के लिए सरकार ने जब-जब कदम उठाया, तब-तब दाम घटने के बजाय बढ़ गए. उल्टा सरकार को ही घाटा उठाना पड़ा. सितंबर से लेकर अबतक सरकार अलग-अलग खाने के तेल पर आयात (Import) का टैक्स (Tax) को चार बार कम कर चुकी है, लेकिन ज्यादातर खाने का तेल सस्ता होने के बजाय महंगा ही हुआ है. हालात ऐसे हो गए हैं कि दिनभर मनरेगा की मजदूरी कर लें, तो भी एक किलो सरसों तेल खरीदने लायक पैसे नहीं मिलेंगे.

देश में खाने के तेल की 65 फीसदी आयात से पूरी होती है. आयात होने वाले खाने के तेल में लगभग 60 फीसदी पाम तेल ही होता है. भारत क्योंकि पाम तेल का बड़ा कंज्यूमर है तो जैसे ही भारत में इस पर टैक्स कम होता है, वैसे ही पाम तेल उत्पादक देशों में रेट बढ़ना शुरू हो जाते हैं. जब विदेश में ही तेल महंगा होगा तो भारत में आने पर भी रेट ज्यादा ही रहेगा यानी जिस मकसद से सरकार टैक्स घटाती है. वह पूरा तो होता नहीं, उल्टे सरकार को टैक्स का नुकसान अलग हो जाता है.
दाल का हाल भी तेल की तरह
दाल का हाल भी तेल से अलग नहीं है. हाल ही में सरकार ने मसूर पर आयात शुल्क बदला है, लेकिन दाम घटने के बजाए बढ़े हैं. मंगलवार को दिल्ली में मसूर दाल का भाव 100 रुपए दर्ज किया गया, एक हफ्ता पहले यह 98 रुपए था. 12 फरवरी को ही सरकार ने ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आयात होने वाले मसूर पर आयात शुल्क खत्म किया था.
खरीफ सीजन के दौरान देश में तिलहन और दलहन की बंपर उपज हुई थी. इस बात की उम्मीद थी कि ज्यादा घरेलू उपज दाल और तेल के दाम घटाने में मददगार होगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. अब रबी सीजन में भी बंपर पैदावार की संभावना जताई जा रही है, लेकिन मौजूदा हालात देखते हुए लग नहीं रहा कि तेल के दाम सस्ते होंगे. जब तक विदेशी तेल पर भारत की निर्भरता कम नहीं होती या विदेशों में तेल सस्ता नहीं होता, तब तक देश में दाम घटने की उम्मीद नहीं के बराबर है.


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