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अगले कुछ महीनों में शेयर बाजारों में गिरावट की प्रबल संभावना

jantaserishta.com
30 July 2023 7:38 AM GMT
अगले कुछ महीनों में शेयर बाजारों में गिरावट की प्रबल संभावना
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चेन्नई: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ महीनों में भारतीय इक्विटी बाजार में गिरावट की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा कि, हालांकि, आगे चलकर किसी विशेष सेक्‍टर में वैश्विक मांग और निजी निवेश बढ़ने से उसका ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ सकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय शेयर बाजारों में तेजी जारी रहेगी या खत्म हो जाएगी, एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री एवं अनुसंधान प्रमुख सुमन चौधरी ने आईएएनएस को बताया, "निफ्टी (एनएसई 50 इंडेक्स) ने पिछले तीन साल में 77.4 फीसदी का रिटर्न दिया है। यदि महामारी से उबरने के प्रभाव को हटा भी दिया जाए, तो भी निफ्टी में एक साल का रिटर्न 14.5 प्रतिशत है।''
उन्होंने कहा, यह विकसित देशों के शेयर बाजारों में मिल रहे रिटर्न से अधिक है। उदाहरण के लिए, एसएंडपी 500 का तीन साल और एक साल का रिटर्न क्रमशः 40.1 प्रतिशत और 10.9 प्रतिशत है। उनके अनुसार, भारतीय इक्विटी बाजारों का अब तक का बेहतर प्रदर्शन घरेलू मांग के लचीलेपन, व्यापक आर्थिक और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता, घरेलू खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और चालू कैलेंडर वर्ष में विदेशी निवेशकों की क्रमिक वापसी के कारण रहा है।
चौधरी ने टिप्पणी की, "घरेलू मांग की मजबूती के साथ सेवाओं की दबी हुई मांग और बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश में बढ़ोतरी से समर्थित भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत पर मजबूत रही।"
चौधरी ने कहा कि हालांकि भारत के लिए मध्यम से दीर्घकालिक विकास संभावनाएं मजबूत रहेंगी, वैश्विक मंदी और अर्थव्यवस्था पर उच्च ब्याज दरों के कुछ विलंबित प्रभाव को देखते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में छह प्रतिशत तक कम हो जाएगी।
“कच्‍चा तेल की कीमतों में तेजी और कुछ श्रेणियों में खाद्य कीमतों में वृद्धि से संभावित जोखिम भी हैं जो हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़ा सकते हैं और ब्याज दरों को लंबी अवधि के लिए ऊंचे स्‍तर पर बनाए रख सकते हैं। इसके अलावा, राजनीतिक अनिश्चितता का कुछ तत्व भी है जो अगले साल होने वाले आम चुनावों से जुड़ा है।”
मांग में सुधार और कमोडिटी की कीमतों में नरमी के कारण पिछले तीन वर्षों में भारतीय कंपनियों की आय में मजबूत वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा कि मांग सामान्‍य होने और कमोडिटी से कोई और लाभ नहीं होने के कारण, वित्त वर्ष 2023-24 में उच्च आय वृद्धि को बनाए रखना कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक चुनौती होगी। हालांकि निफ्टी के लिए कमाई और लागत का अनुपात कम हो गया है, लेकिन यह अभी भी 24 के आसपास उच्च स्तर पर है।
चौधरी ने इन सभी कारकों के परिप्रेक्ष्‍य में निष्‍कर्ष निकाला, “ऐसे परिदृश्य को देखते हुए अगले कुछ महीनों में इक्विटी बाजारों में गिरावट की संभावना अधिक है। फिर भी, वैश्विक मांग और निजी क्षेत्र के निवेश में बढ़ोतरी जैसे कारकों के आधार पर बाजार में आगे चलकर क्षेत्र विशेष की गति देखी जा सकती है।''
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