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हड़ताल से ठप हुआ सरकारी बैंकों का कामकाज, बैंक यूनियन कल भी रखेंगे जारी

Gulabi
16 Dec 2021 3:05 PM GMT
हड़ताल से ठप हुआ सरकारी बैंकों का कामकाज, बैंक यूनियन कल भी  रखेंगे जारी
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ठप हुआ सरकारी बैंकों का कामकाज
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैक यूनियनों की दो दिन की हड़ताल आज से शुरू हो गयी है. इसकी वजह से देश भर के कई हिस्सों में बैंक के कामकाज पर काफी असर देखने को मिला है. यूनियनों के मुताबिक हड़ताल में देश भर के लाखों बैंक कर्मचारी शामिल हैं. हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी.
कामकाज पर कितना पड़ा असर
बैंकों से मिली जानकारी के मुताबिक शाखाओं में पैसा निकालने और पैसा जमा करने, चेक क्लीयरेंस और लोन अप्रूवल जैसे कामों पर काफी असर देखने को मिला, हालांकि सरकारी बैंकों के एटीएम पर आज कोई विशेष असर नहीं हुआ. वहीं एआईबीईए के जनरल सेक्रेटरी सी एच वेंकटाचलम के मुताबिक गुरुवार को 18600 करोड़ रुपये मूल्य के 20 लाख से ज्यादा चेक का ट्रांजेक्शन नहीं हो सका. एसबीआई सहित सरकारी बैंकों ने पहले ही अपने ग्राहकों को हड़ताल को लेकर जानकारी दे दी थी. वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों के कामकाज पर आज कोई असर देखने को नहीं मिला लेकिन बैंकों के बीच चेक क्लीयरेंस के काम जरूर अटके.
क्यों हड़ताल पर हैं बैंक यूनियन
बैंक यूनियन सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रही हैं. हड़ताल की वजह पर बात करते हुए ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफडरेशन ने कहा कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों के निजीकरण से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को नुकसान होगा और इससे स्वयं सहायता समूहों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कर्ज प्रवाह पर भी असर पड़ेगा. ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज एसोसिएशन ने कहा, 'पिछले 25 साल से UFBU के बैनर तले हम बैंकिंग क्षेत्र में ऐसे सुधारों का विरोध कर रहे हैं जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.' यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज एसोसिएशन , ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफडरेशन, नेशनल कंफडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉईज, और बैंक एम्प्लॉईज कंफडरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं
बजट में सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए विनिवेश कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. दरअसल सरकार का लक्ष्य सीमित संख्या में सरकारी बैंकों को चलाने का है. वहीं बाकी बैंकों में विनिवेश किया जायेगा. जिससे भारत में कुछ विश्वस्तरीय बैंक तैयार किये जा सके.
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