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देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी के प्रारंभिक पब्लिक आफर का रास्ता साफ हो गया है
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी के प्रारंभिक पब्लिक आफर (आइपीओ) का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को कैबिनेट कमेटी ने जनरल इंश्योरेंस बिजनेस एक्ट, 1972 में संशोधन की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इस कानून के तहत इंश्योरेंस सेक्टर में स्थापित सरकारी बीमा कंपनियों में निजी कंपनियों की भागीदारी हो सकेगी। सूत्रों के मुताबिक मुख्य रूप से एलआइसी में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने यह मंजूरी दी है।
इंश्योरेंस बिजनेस कानून, 1972 में संशोधन के बगैर सरकार एलआइसी में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकती है। इस साल बजट घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी के विनिवेश की घोषणा की थी। चालू वित्त वर्ष (2021-22) में सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार विनिवेश से सिर्फ 7,646 करोड़ रुपए जुटा सकी है। हाल ही में सरकार ने तेल व गैस क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियों में 100 फीसद विदेशी निवेश की मंजूरी दी है, ताकि विदेशी निवेशक इनमें हिस्सेदारी खरीद सके।
दूसरी तरफ, बुधवार को वित्त मंत्रालय के निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव टीके पांडेय ने एक कार्यक्रम में बताया कि चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च, 22) में एलआइसी का आइपीओ लाने की तैयारी चल रही है। विभाग ने एलआइसी के आइपीओ के लिए इंवेस्टमेंट बैंकर्स और कानूनी सलाहकार को प्रस्ताव देने के लिए आमंत्रित किया है।
उद्योग संगठन फिक्की के कार्यक्रम में पांडेय ने कहा कि एलआइसी का आइपीओ भारत समेत वैश्विक बाजारों के लिए उत्सुकता का विषय है, क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा आइपीओ साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का फोकस निजीकरण और रणनीति विनिवेश पर होगा। इस दिशा में बीपीसीएल का विनिवेश बड़ा काम है। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना की वजह से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें प्रभावित होने के बावजूद एयर इंडिया की बिक्री भी इसी वर्ष हो जाने की उम्मीद है।
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