चुनाव से गर्म हो रहा राज्य का माहौल, ये हैं असम की चाय से जुड़ी कुछ खास बातें
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | असम जो भारत के उत्तरपूर्व में स्थित है. इस प्रदेश को देश में बड़ा चाय उत्पादक वाला राज्य माना जाता है. इसलिए इसे Tea City of India भी कहा जाता है. वहीं इस साल असम में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. और ऐसे में न जानें कितनी चर्चाएं होंगी जो चाय पर होंगी. ऐसे में हमने सोचा क्यों न आपको इस राज्य से जुड़ी खास बातों के बारे में जानकारी दी जाए.
असम में चाय से जुड़ी कुछ अनोखी बातें
1.) रिपोर्ट्स के अनुसार असम में लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं. जो एक बड़ी संख्या है. चीन के बाद असम दुनिया का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक है. असम से कई देशों में चाय का निर्यात किया जाता है. इसमें रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान और भी कई अन्य देश शामिल हैं.
2.) असम में होनी वाली चाय Camellia Sinensis var. Assamica नाम के पौधे से होती है. जिसका इस्तेमाल खाने के स्वाद और इत्र में भी किया जाता है. असम का जलवायु चाय उत्पादन के लिए एकदम सही है, और 304 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर चाय के पौधों को देखा जा सकता है.
3.) ऐसा माना जाता है कि असम में हर साल 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन होता है, और केवल 10% की खपत होती है. असम की चाय सुबह की चाय में इस्तेमाल होने वाला विशेष इंग्रेडिएंट है.
4.) CTC method (cut, tear, curl) का आविष्कार असम में 1930 के दशक में सर विलियम मैककेचर की ओर से किया गया था. CTC चाय की प्रोसेसिंग का एक तरीका है जिसमें चाय की पत्तियां रोलर्स से गुजरती हैं. इन रोलर्स में तेज दांत होते हैं जो पत्तियों को कुचलते हैं, फाड़ते हैं और कर्ल करते हैं, जिससे वे छोटे, सख्त छर्रों में बदल जाते हैं, जिनमें तेज स्वाद होता है और चाय की थैलियों के लिए ठीक होते हैं.
5.) रॉबर्ट ब्रूस ने असम में चाय के पौधे की खोज की थी, चाय को असम में उगाया और इस्तेमाल किया जा रहा था. असम के सिंघो जनजाति की ओर से चाय का इस्तेमाल पेय पदार्थ के लिए किया जाता था. वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि सिंगफो जनजाति के प्रमुख बेसा गाम ने ही 1823 में रॉबर्ट ब्रूस को प्लांट दिखाया था.
6.) भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूरज बहुत पहले उगता है. इस तरह असम के चाय बागान के कर्मचारियों के लिए अलग टाइम जोन बनाया गया, जिसको चाय बागान टाइम कहा जाता है. ये भारतीय मानक समय (आइएसटी) से एक घंटा आगे है.