बीमा कंपनियों की संख्या 69 पर पहुंची, वित्त मंत्रालय ने किया साफ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। LIC IPO: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की लिस्टिंग के बाद 60 फीसदी बीमा कारोबार लिस्टेड कंपनियों के पास आ जाएगा. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) में अतिरिक्त सचिव अमित अग्रवाल ने यह बात कही. कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCA) ने जुलाई में एलआईसी (LIC) की लिस्टिंग को सैद्धान्तिक मंजूरी दी है.
बीमा कंपनियों की संख्या 69 पर पहुंची
अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो रहा है. हमारी वित्तीय प्रणाली परिपक्व, गहराई वाली हो चुकी है और एक स्तर तक पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा के लिए खोलने के बाद यह परिपक्व हुआ है. आज बीमा कंपनियों की संख्या 69 पर पहुंच चुकी है जो 2000 में सिर्फ 8 थी.
अग्रवाल ने कहा, LIC की प्रस्तावित लिस्टिंग पूरी होने के बाद बीमा उद्योग का 60 फीसदी कारोबार लिस्टेड कंपनियों के पास आ जाएगा. यह क्षेत्र कुल अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है.
पॉलिसीधारकों को मिलेगी छूट
संसद के मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि एलआईसी अपने आईपीओ में ग्राहकों के लिए अलग से कोटा तय कर सकती है. इश्यू साइज का 10 फीसदी हिस्सा पॉलिसीधारकों के लिए रिजर्व हो सकता है.
मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक यानी 31 मार्च 2021 तक एलआईसी का आईपीओ आ सकता है. इसके अलावा डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को प्री-आईपीओ ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है.
देश का सबसे बड़ा आईपीओ
माना जा रहा है कि LIC का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. अनुमान लगाया गया है कि यह 90,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है. इसके जरिए सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी. 1956 के एलआईसी अधिनियम में संशोधन किया गया है.
आईपीओ के लिए प्रॉस्पेक्टस का मसौदा भी जल्द ही दाखिल किया जाएगा. दीपम सचिव ने कहा कि आईपीओ के लिए अन्य आवश्यकताओं के अनुपालन के लिए शेयर बाजार नियामक के साथ चर्चा जारी है.
मिनिस्ट्रियल पैनल अब आईपीओ से संबंधित अन्य पहलुओं पर फैसला करेगा. लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन अपनी वैल्यु को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने पर काम कर रही है. इसके अलावा इंटर्नल एफिशिएंसी और प्रोडक्ट रीस्ट्रक्चरिंग पर भी जोर दिया जा रहा है.