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कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा समय तक प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है और एक बार फिर निर्यात पुनरूद्धार का आधार बनेगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा समय तक प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है और एक बार फिर निर्यात पुनरूद्धार का आधार बनेगा. मूडीज एनालिटिक्स ने सोमवार को यह कहा. 'एपीएसी आर्थिक परिदृश्य: डेल्टा बाधा' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में मूडीज एनालिटिक्स ने कहा कि सामाजिक दूरी का चालू तिमाही पर असर हो रहा है लेकिन साल के अंत तक आर्थिक पुनरूद्धार फिर से शुरू हो जाएगा.
रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 का डेल्टा किस्म अब एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारकों में से एक है, लेकिन इस क्षेत्र में आवाजाही को लेकर प्रतिबंधों का जो असर है, वह पिछले साल की दूसरी तिमाही में आर्थिक नरमी जितनी गंभीर नहीं होगा.
भारत में अर्थव्यवस्था में निर्यात की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है. जिंसों के ऊंचे दाम से निर्यात का मूल्य बढ़ा है. यह एक यह एक ऐसा कारक है जिसने कोविड-19 की पहली विनाशकारी लहर के बाद भारत को फिर से पटरी पर लाने में मदद की.
रिपोर्ट में कहा गया है, ''दूसरी लहर जब अब समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है, उसका अर्थव्यवस्था पर ज्यादा समय तक नुकसान देखने को मिल सकता है. इसका कारण महामारी से छोटे कारोबारियों का बुरी तरह प्रभावित होना है. वहीं निर्यात पुनरूद्धार का एक बार फिर आधार होगा.''
वित्तीय जानकारी और विश्लेषण से जुड़ी मूडीज एनालिटिक्स ने टीकाकरण के संदर्भ में लिखा है कि भारत टीकाकररण अभियान को गति देने को लेकर जूझता दिख रहा है. उसने कहा कि वैश्विक आर्थिक पुनरूद्धार ठोस गति से जारी है, लेकिन एशिया के कुछ देशों में यह अल्प अवधि में प्रतिबिंबित होता नहीं दिखता. विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में. इसका कारण कोविड-19 का डेल्टा संस्करण का पूरे क्षेत्र में फैलना और उसकी रोकथाम के लिये सामाजिक दूरी से जुड़ी पाबंदियां हैं.
मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार इस साल वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 5 से 5.5 प्रतिशत रहेगी. यह 3 प्रतिशत की संभावित वृद्धि दर से ज्यादा है. इसका कारण पिछले साल की महामारी से जुड़ी नरमी के बाद से पुनरूद्धार बरकरार है.
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