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फार्मिंग से भंग हुआ मोह तो शुरू की नर्सरी, अब सालाना करते हैं 8 करोड़ बीज का प्रोडक्शन

Gulabi
15 Jun 2021 11:30 AM GMT
फार्मिंग से भंग हुआ मोह तो शुरू की नर्सरी, अब सालाना करते हैं 8 करोड़ बीज का प्रोडक्शन
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कृषि आपार संभावनाओं का क्षेत्र है

कृषि आपार संभावनाओं का क्षेत्र है. अगर मेहनत और लगन से काम किया जाए तो आप मोटी कमाई कर सकते हैं. इतना ही नहीं, दूसरों के लिए रोजगार भी उपलब्ध करा सकते हैं. बदलते दौर में किसान खेती में काफी प्रयोग कर रहे हैं, जिनका उन्हें लाभ मिल रहा है. इस वजह से वे खुद सुख और समृद्धि का जीवन जी रहे हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. हम आज एक ऐसे ही किसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाले हरबीर सिंह ने पढ़ाई पूरी कनरे के बाद खेती-बाड़ी का काम शुरू कर दिया. हालांकि कुछ समय बाद ही उन्हें समझ आ गया कि पारंपरिक खेती में मुनाफा नहीं है. खेती-किसानी के काम के दौरान ही उनका कुछ ऐसी परिस्थितियों से सामना हुआ, जिसने पारंपरिक खेती से उनका मोह भंग कर दिया और नर्सरी डालने के लिए प्रेरित किया. 2005 में थोड़ी सी जमीन से नर्सरी की शुरुआत करने वाले हरबीर सिंह आज 16 एकड़ जमीन पर नर्सरी में बीज और पौध तैयार करते हैं.
उनकी नर्सरी में हर साल 8 करोड़ बीज का प्रोडक्शन होता है. देश के अनेक राज्यों में इसकी सप्लाई होती है. इतना ही नहीं, यूरोप के देश इटली के किसान भी हरबीर की नर्सरी से अपने लिए बीज और पौध मंगाते हैं. आज हरबीर ने करीब 100 लोगों को रोजगार दिया है और अनगिनत किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. उनकी नर्सरी में हर सीजन की सब्जियों के बीज तैयार किया जाते हैं.
पारंपरिक खेती से नहीं थे खुश
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, हरबीर की शुरुआत पारंपरिक खेती से हुई थी. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें समझ आ गया कि इसमें ज्यादा आमदनी के मौके नहीं हैं. इसी दौरान उन्होंने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इससे लाभ हुआ तो बड़े स्तर पर करने लगे. हरबीर अब शौकिया तौर पर मधुमक्खी पालन का काम करते हैं और उनका सारा ध्यान नर्सरी पर रहता है.
कैसे हुई नर्सरी की शुरुआत?
पारंपरिक खेती करते वक्त ही एक बार हरबीर को बीज की जरूरत पड़ी. वे बीज लाने के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब पहुंचे. वहां जाने पर पता चला कि बीज की बुकिंग तो 3 महीने पहले ही हो जाती है. इतना लंबा सफर तय कर पहुंचने के बाद खाली हाथ लौट कर आना हरबीर को नर्सरी डालने के लिए मजबूर कर दिया.
घर वापसी के बाद उन्होंने कम जमीन में ही सीजनल सब्जियों की नर्सरी डाल दी. हरबीर ने नर्सरी तैयार करने की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी तो शुरुआत में उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा. बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर नर्सरी का काम शुरू किया और सफलता मिलने लगी. फिर हरबीर ने बड़े स्तर पर इस काम को करने लगे.
इटली भी भेजते हैं बीज
वर्तमान में हरबीर पॉलीहाउस में बीज तैयार करते हैं. उन्होंने करीब 100 लोगों को रोजगार दिया है. अपने बीज की मार्केटिंग के लिए वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. हरबीर की नर्सरी के पौध और बीज का इस्तेमाल पूरे देश के किसान कर रहे हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. बीते कुछ वर्षों से हरबीर इटली भी बीज भेज रहे हैं.
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