भारत गवर्नमेंट ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है. प्रतिबंध से हिंदुस्तान का लगभग 80 फीसदी चावल निर्यात प्रभावित हो सकता है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है. बता दें कि हिंदुस्तान में चावल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए गवर्नमेंट ने यह बैन लगाया है. पिछले दस दिन में देशभर में चावल की मूल्य में 20 प्रतिशत तेजी आई है. अधिसूचना जारी होने के बाद से चावल के एक्सपोर्ट से जुड़ा कोई भी सौदा नहीं हो पाएगा. हालांकि जिन एक्सपोर्ट आर्डर में जहाज पर चावल का लदान प्रारम्भ हो गया है, उस पर यह रोक लागू नहीं होगी. बता दें कि पूरे विश्व में एक्सपोर्ट होने वाले चावल में हिंदुस्तान की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है.
किन चावल पर गवर्नमेंट ने लगाया बैन
अधिसूचना के अनुसार, ‘‘गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) की निर्यात नीति को मुक्त से प्रतिबंधित कर दिया गया है. बता दें कि गैर बासमती चावल की कुछ किस्मों को गवर्नमेंट ने पहले से ही पिछले वर्ष बैन लगा दिया था. हालांकि, अधिसूचना में बोला गया है कि चावल की खेप को कुछ शर्तों के अनुसार निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी.
टूटे चावल पर पहले से बैन
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. पिछले वर्ष सितंबर में गवर्नमेंट ने टूटे हुए चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. साथ ही दूसरे तरह कई तरह के चावल के एक्सपोर्ट पर 20 प्रतिशत ड्यूटी लगाई गई थी. गवर्नमेंट के कदम से राष्ट्र में तो चावल की मूल्य में गिरावट आएगी लेकिन पूरे विश्व में चावल की मूल्य बढ़ सकती है. पिछले दस दिन में देशभर में चावल की मूल्य में 20 प्रतिशत तेजी आई है.
देशों के साथ शर्तों के साथ मिलेगी अनुमति
भारत पूरे विश्व में चावल का एक प्रमुख निर्यातक है. लेकिन घरलू बाजार में बढ़ती कीमतों और खरीफ की बुवाई के रकबे में कमी के चलते आने वाले महीनों में चावल के संकट की संभावना जताई जा रही है. इसे देखते हुए गवर्नमेंट ने बड़ा निर्णय लिया है. हालांकि अन्य राष्ट्रों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए गवर्नमेंट की स्वीकृति और अन्य सरकारों के निवेदन पर निर्यात की भी अनुमति दी जाएगी.
मानसून की बेरुखी से धान पर संकट
भारत में असमान मानसून की बारिश के चलते चावल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. बुवाई की बात करें तो 14 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार खरीफ की बुवाई दो प्रतिशत कम हुई है. धान का रकबा 6.1 प्रतिशत और दलहन का 13.3 प्रतिशत है. इसकी वजह यह है कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम बारिश हुई है.