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PF का पूरा पैसा EPFO में जमा नहीं होता, फिर बाकी रमक कंपनियां कहां रखती हैं, जानिए

Bhumika Sahu
3 Oct 2021 4:32 AM GMT
PF का पूरा पैसा EPFO में जमा नहीं होता, फिर बाकी रमक कंपनियां कहां रखती हैं, जानिए
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ईपीएफ की तरह ईपीएफ कतई नहीं है और EPS पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता. ईपीएस का नियम यही है कि आपके खाते में जुड़ा पैसा सीधा सरकार के पास जमा होता है और सरकार आपके रिटायर होने पर उससे पेंशन देती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रोविडेंट फंड या PF सैलरी पाने वाले लोगों को मिलने वाली एक बड़ी सुविधा है. अधिकांश कर्मचारियों की बेसिक सैलरी से 12 परसेंट हिस्सा हर महीने पीएफ खाते में जमा होता है. इतनी ही रकम हर महीने कंपनी की तरफ से भी कर्मचारी के खाते में जमा की जाती है. हालांकि अधिकांश मामले में कर्मचारी के EPF खाते में हर महीने 24 परसेंट पैसे जमा नहीं होते. फिर बाकी के पैसे कहां जाते हैं?

इस सवाल का जवाब पाने से पहले कर्मचारी को अपना पीएफ पासबुक जरूर देखना चाहिए. पीएफ पासबुक देखें तो आपको पीएफ खाते में कर्मचारी और कंपनी की तरफ से जमा होने वाली रमक की अलग-अलग एंट्री दिखेगी. इसके अलावा PF account में एक और कॉलम दिखता है जिसमें एंप्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) के तहत पैसे जमा होते हैं. ध्यान रखें कि ईपीएफ और ईपीएस दोनों ईपीएफओ का ही हिस्सा हैं, भले ही दोनों में अलग-अलग पैसे जमा होते हों.
यहां इन 4 पॉइंट पर गौर करेंगे
1 कैसे जमा होता है ईपीएस का पैसा
2 EPS से क्या मिलता है फायदा
3 क्या ईपीएस के जमा पर ब्याज मिलता है?
4 ये स्कीम सर्टिफिकेट क्या है
1-कैसे जमा होता है ईपीएस का पैसा
EPS में पैसे जमा करने के लिए कंपनी अपने कर्मचारी की सैलरी से पैसे नहीं काटती बल्कि कंपनी के योगदान का कुछ हिस्सा ईपीएस में जमा होता है. नए नियम के अंतर्गत बेसिक सैलरी को 15,000 रुपये तक निर्धारित कर दिया गया है. इसी नए नियम के मुताबिक सैलरी का 8.33 परसेंट हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है. इसका अर्थ हुआ कि बेसिक सैलरी भले ही 15,000 रुपये से ज्यादा हो, लेकिन EPS में कंपनी की ओर से 1250 रुपये ही जमा किए जाएंगे. ईपीएस का पैसा मंथली पेंशन के लिए जमा किया जाता है.
2-EPS से क्या मिलता है फायदा
महीने में किसी रिटायर्ड कर्मचारी को EPS से कितने रुपये की पेंशन मिलेगी, इसका फैसला कर्मचारी की नौकरी और टर्म से होगा. इसका एक फिक्स्ड फॉर्मूला है. अगर कोई कर्मचारी 10 साल सर्विस के बाद रिटायर होता है तो उसे कम से कम 1,000 रुपये की फिक्स्ड पेंशन मिलेगी. हालांकि अधिकतम पेंशन की राशि 7500 रुपये भी हो सकती है. इसके लिए जरूरी है कि कंपनी आपकी सर्विस को सही ढंग से रिकॉर्ड कर रही हो. जितने साल आपने काम किए, उसका सही-सही रिकॉर्ड रखा जाए. इसके लिए आप 'स्कीम सर्टिफिकेट' को अपना सकते हैं जिसके जरिये EPFO के पास आपकी नौकरी और टर्म का पूरा हिसाब होता है.
3-क्या ईपीएस के जमा पर ब्याज मिलता है?
ध्यान रखें कि ईपीएफ की तरह ईपीएफ कतई नहीं है और EPS पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता. ईपीएस का नियम यही है कि आपके खाते में जुड़ा पैसा सीधा सरकार के पास जमा होता है और सरकार आपके रिटायर होने पर उससे पेंशन देती है. जब कर्मचारी एक कंपनी छोड़कर दूसरी में जाता है तो EPF ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन यूएन पहले वाला ही बना रहता है. हालांकि EPS के साथ यह बात नहीं है. नौकरी बदलने पर ईपीएस का पैसा ईपीएफओ के पास जमा रहता है. कर्मचारी चाहे तो ईपीएस का पैसा निकाल सकता है या दूसरी नौकरी में कैरी फॉरवर्ड कर सकता है. हालांकि यह कर्मचारी की नौकरी और साल पर निर्भर करता है.
4-ये स्कीम सर्टिफिकेट क्या है
अगर कोई कर्मचारी लगातार 10 साल की नौकरी पूरा नहीं कर पाया है तो वह या तो ईपीएस का पैसा निकाल सकता है या स्कीम सर्टिफिकेट ले सकता है. जिस नई कंपनी में कर्मचारी जॉइन करता है वहां कंपनी के माध्यम से स्कीम सर्टिफिकेट को ईपीएएफओ में जमा करा सकता है. कर्मचारी की नौकरी के ज्योंहि 10 साल पूरे होंगे, तो पैसे निकालने की सुविधा बंद हो जाएगी और ईपीएफओ से स्कीम सर्टिफिकेट लेने होंगे. इसके लिए ईपीएफओ में फॉर्म 10C भरने की जरूरत होगी.


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