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दुनिया में ऊर्जा संकट का खतरा, क्यों आ रही है ये आपदा?

Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 5:27 AM GMT
दुनिया में ऊर्जा संकट का खतरा, क्यों आ रही है ये आपदा?
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दुनियाभर में संकट ऊर्जा की बढ़ती मांग की वजह से हो रहा है, क्योंकि कोरोनावायरस महामारी के बाद फिर से कारखानें खुलने लगे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में प्राकृतिक गैस (Natural Gas) की कीमतों में हो रही वृद्धि और कोयले (Coal) की तेजी से बढ़ती कीमत ने दुनिया की मुसीबत बढ़ा दी है. मौसम की वजह से वैश्विक ऊर्जा की कमी और मांग में फिर से बढ़ोतरी बढ़ती जा रही है. इसने सर्दियों से पहले मुसीबत बढ़ा दी है. दुनियाभर की सरकारें उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभाव को सीमित करने की कोशिश कर रही हैं. स्थिति इसलिए भी बिगड़ रही है, क्योंकि सरकारों के ऊपर दबाव बढ़ रहा है कि वो स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़े. नवंबर में दुनियाभर के नेताओं को एक जलवायु शिखर सम्मेलन में हिस्सा भी लेना है.

चीन (China) में लोगों को पहले ही बिजली की कटौती से जूझना पड़ रहा है, जबकि भारत में पॉवर स्टेशन कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. यूरोप (Europe) में प्राकृतिक गैस अब तेल के संदर्भ में 230 डॉलर प्रति बैरल के बराबर कारोबर कर रही है. कीमतें सितंबर की शुरुआत से 130 फीसदी से अधिक बढ़ चुकी हैं. पिछले साल इस समय की तुलना में कीमतों में आठ गुना तक वृद्धि हो चुकी है. वहीं, पूर्वी एशिया में सितंबर की शुरुआत से प्राकृतिक गैस की कीमतों में 85 फीसदी का इजाफा हो गया है. तेल की कीमतों की संदर्भ में ये 204 डॉलर प्रति बैरल है. हालांकि, अमेरिका में भी कीमतों में इजाफा हुआ है.
सर्दियों में बढ़ सकती है दुनिया की मुसीबत
वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के ऊर्जा और भू-राजनीति विशेषज्ञ निकोस त्साफोस ने कहा, सबसे ज्यादा इस बात का डर है कि इस बार सर्दियां कैसी होने वाली हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के बीच चिंता की वजह से बाजार आपूर्ति और मांग के मूल सिद्धांतों से अलग हो गया है. प्राकृतिक गैस के स्टॉक को बरकरार रखने की वजह से कोयले और तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है. दरअसल, हालत के बिगड़ने के दौरान इसका विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने की योजना है, लेकिन इससे जलवायु (Climate) को खासा नुकसान पहुंच सकता है. भारत में 135 में से 63 कोयले से चलने वाले प्लांट में महज दो दिनों की सप्लाई बची हुई है.
क्यों बढ़ गई है मुसीबत
ये संकट ऊर्जा की बढ़ती मांग की वजह से हो रहा है, क्योंकि महामारी के बाद फिर से कारखानें खुलने लगे हैं. इस साल की शुरुआत में असामान्य रूप से लंबी और ठंडी सर्दी ने यूरोप में प्राकृतिक गैस के भंडार को कम कर दिया. ऊर्जा की बढ़ती मांग ने रिस्टॉकिंग की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है, जो आमतौर पर वसंत और गर्मियों में होता है. दूसरी ओर, तरल प्राकृतिक गैस के लिए चीन की बढ़ती भूख ने भी मुसीबत को बढ़ा दिया. ऊर्जा संकट को एलएनजी के जरिये सुलझाया जा सकता था, लेकिन चीन में इसकी मांग बढ़ गई है. वहीं, रूसी गैस निर्यात में गिरावट और असामान्य रूप से शांत हवाओं ने समस्या को और बढ़ा दिया है.

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