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देश का स्टॉक मार्केट जल्द ही मार्केट वैल्यू के मामले में ब्रिटेन को छोड़ सकता है पीछे, भारत Top-5 देशों के क्लब में होगा शामिल

Renuka Sahu
12 Oct 2021 3:14 AM GMT
देश का स्टॉक मार्केट जल्द ही मार्केट वैल्यू के मामले में ब्रिटेन को छोड़ सकता है पीछे, भारत Top-5 देशों के क्लब में होगा शामिल
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फाइल फोटो 
ग्लोबल मार्केट में भारत ने पिछले कुछ सालों में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत की है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ग्लोबल मार्केट में भारत ने पिछले कुछ सालों में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत की है. यहीं वजह है कि देश का स्टॉक मार्केट (Stock Market) जल्द ही मार्केट वैल्यू के मामले में ब्रिटेन (UK) को पीछे छोड़ सकता है. इसके साथ ही मार्केट वैल्यू के मामले में भारत दुनिया के टॉप-5 देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल के समय में रिकॉर्ड लो इंट्रेस्ट रेट (low interest rates) और रिटेल इन्वेस्टमेंट में बढ़ोत्तरी के चलते भारत का स्टॉक मार्केट अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचा है. मार्केट साइज के हिसाब से भारत और ब्रिटेन में ज्यादा अंतर नहीं है. हालांकि भारत में जहां मौजूदा समय में स्टार्टअप और एक्टिव टेक्नॉलजी के चलते मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए बेहद शानदार अवसर मौजूद हैं, वहीं ब्रिटेन में अब भी मार्केट पर Brexit से रिलेटेड सवालों का असर साफ देखा जा सकता है.

ब्लूम्बर्ग (Bloomberg) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के Market Capitalisation इस साल 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ लगभग 26,11.89 खरब रुपये (3.46 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच गया है. जो कि लगभग ब्रिटेन के बराबर ही है, जहां इस साल 9 फीसदी की बढ़त के साथ Market Capitalisation 27,09.19 खरब रुपये (3.59 ट्रिलियन डॉलर) पर बना हुआ है. हालांकि अगर इसमें सेकंडरी लिस्टिंग्स और डिपॉजिटरी लिस्ट को भी शामिल कर लें तो भारत के लिए ये आंकडें और बेहतर नजर आते हैं.
2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा Market Capitalisation
Goldman Sachs Group Inc के मुताबिक भारत का Share Market Capitalisation साल 2024 तक 37,72 खरब रुपये (5 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच सकता है. अगले दो से तीन सालों में मार्केट में आने वाले नए IPO मार्केट वैल्यू के बढ़ने का बहुत बड़ा कारण होगा. London and Capital Asset Management में इक्विटी हेड रोजर जोंस के मुताबिक, "भारत की डोमेस्टिक मार्केट के लिए मौजूदा समय में लोगों का रूझान बहुत ज्यादा है. यहां अच्छी लॉन्ग-टर्म ग्रोथ रेट के साथ-साथ स्थायी और सुधारवादी राजनीतिक नेतृत्व इसके पीछे एक बड़ी वजह है." साथ ही उन्होंने कहा, "वहीं अगर हम ब्रिटेन के मौजूदा हालात की बात करें तो यहां मार्केट के प्रति लोगों में पहले जैसा रूझान नहीं है और इसकी एक बड़ी वजह Brexit को लेकर सामने आए वोटिंग के नतीजे हैं."


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