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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कोरोनाकाल का दूसरा आम बजट पेश किया. वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार 39.45 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. सरकार ने बताया कि उसकी 1 रुपये की कमाई में 35 पैसा उधारी का है. जबकि, 20 पैसा तो ब्याज का भुगतान करने में खर्च हो जाता है.
बजट में सरकार बताती है कि वो कहां से पैसा कमाएगी और कहां खर्च करेगी. सरकार को आमदनी टैक्स और ड्यूटी से होती है. जबकि, उसका खर्च योजनाओं, राज्यों को देने, सब्सिडी देने, पेंशन देने और डिफेंस पर खर्च होता है. आमतौर पर सरकार आमदनी से ज्यादा खर्च करती है. इस अंतर की भरपाई वो कर्ज से करती है.
बजट दस्तावेज के मुताबिक, सरकार की 1 रुपये की कमाई में 35 पैसा कर्ज का है. 15-15 पैसे इनकम टैक्स और कॉर्पोरेशन टैक्स से मिलते हैं. वहीं, जीएसटी से 16 पैसा कमाती है.
जब कमाई कम और खर्च ज्यादा होता है तो सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता है. वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4% रहने का अनुमान है. हालांकि, सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5% पर आने की बात कही है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.9% रहा है. जबकि, 2020-21 में ये घाटा 9.2% पहुंच गया था.
चाहे देश में मनमोहन सरकार हो या मोदी सरकार, हर सरकार में देश कर्ज से ही चला है. हालांकि, मनमोहन सरकार में कमाई में 27 से 29 पैसा कर्ज से आता था. मोदी सरकार में ये कर्ज कम हुआ. लेकिन, कोरोना महामारी ने आकर कमर तोड़ दी. कोरोना के दौर में सरकार की कमाई में कर्ज बेतहाशा बढ़ गया. 2021-22 में सरकार ने 36 पैसा कर्ज लिया.
देश की जीडीपी का 62% हिस्सा कर्ज का
- 6 दिसंबर 2021 को लोकसभा में कर्ज को लेकर सवाल पूछा गया था. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसका जवाब दिया था. उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार देश की जीडीपी का 62% हिस्सा कर्ज का है. यानी, देश की जितनी जीडीपी है, उसमें से 62% तो कर्ज का ही हिस्सा है.
- डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के मुताबिक, सितंबर 2021 तिमाही तक केंद्र सरकार पर 125.71 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. इसमें से 106.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज इंटरनल था. वहीं, 8.05 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बाहर से लिया गया है.
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