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इस साल सबसे बड़ी परेशानी, महंगाई होगी ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया गया

Teja
29 Jan 2022 11:01 AM GMT
इस साल सबसे बड़ी परेशानी, महंगाई होगी ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया गया
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ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) इस समय महंगाई (Inflation) की समस्या से परेशान है. यही वजह है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) इस समय महंगाई (Inflation) की समस्या से परेशान है. यही वजह है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, जिससे एक्सेस लिक्विडिटी पर कंट्रोल किया जा सके. रॉयटर्स के एक पोल के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया के सामने ऊंची महंगाई दर बड़ी समस्या रहेगी. महंगाई के कारण ग्रोथ रेट पर असर दिखाई देगा. अगर महंगाई नियंत्रण में नहीं आती है तो इसके कारण डिमांड में गिरावट आएगी और रिकवरी की रफ्तार धीमी होगी. ऐसे में इंफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों को समय से पहले इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने पर फोकस करना होगा. कुछ महीने पहले की बात है जब RBI समेत तमाम सेंट्रल बैंकों ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण सप्लाई-चेन सिस्टम प्रभावित हुई है. यही वजह है कि महंगाई दर में उछाल आया है. इसका असर तात्कालिक रहेगा.

रॉयटर्स की तरफ से 500 इकोनॉमिस्ट को लेकर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में दुनिया के 46 देशों को शामिल किया गया. रिपोर्ट में ज्यादातर इकोनॉमिस्ट ने 46 में ज्यादातर देशों के लिए इस साल इंफ्लेशन के अनुमान को बढ़ाया है.माना जा रहा है कि 2023 में प्राइस का दबाव कम होगा.
ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया गया
इकोनॉमिस्ट ने इस साल ग्लोबल ग्रोथ रेट के अनुमान को घटा दिया है. उनका ताजा अनुमान है कि 2022 में ग्लोबल ग्रोथ रेट 4.3 फीसदी रहेगा. इससे पहले अक्टूबर 2021 में उनका यह अनुमान 4.5 फीसदी का था. 2021 में ग्लोबल ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी रहा था. इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि अगले दो सालों में विकास की रफ्तार और सुस्त होगी. 2023 में ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान 3.6 फीसदी और 2024 के लिए यह अनुमान 3.2 फीसदी रखा गया है.
बढ़ती महंगाई प्रमुख चुनौती
ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स (40 फीसदी) ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई है. 35 फीसदी ने कहा कि कोरोना वायरस चुनौती है, जबकि 22 फीसदी आर्थिक जानकारों ने कहा कि दुनियाभर के सेंट्रल बैंक बहुत तेजी से इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. इससे विकास की रफ्तार पर असर होगा.
पॉलिटिकल टेंशन से भी ग्लोबल इकोनॉमी को खतरा
डच बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट डेविड फोल्कर्ट ने कहा कि बढ़ती महंगाई, सप्लाई चेन की समस्या, कोरोना महामारी, इंटरनेशनल पॉलिटिकल टेंशन से भी ग्लोबल इकोनॉमी के ग्रोथ को खतरा है. रॉयटर्स के सर्वे में कहा गया है कि 24 बड़े सेंट्रल बैंकों में 18 सेंट्रल बैंक इस साल कम से कम एकबार इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी जरूर करेंगे. अक्टूबर के पोल में यह अनुमान केवल 11 बैंकों का था. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 26 जनवरी को कहा कि वह मार्च के महीने में इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी कर सकता है. इस समय वहां इंट्रेस्ट रेट 0-0.25 फीसदी तक है. पिछले दिनों इंग्लैंड के सेंट्रल बैंक ने इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी की थी. बैंक ऑफ कनाडा भी इंट्रेस्ट में बढ़ोतरी के बारे में सोच रहा है.


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