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ये फिटनेस टेस्ट सिर्फ लिस्टेड ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन पर कराना जरूरी होगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुरक्षा और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2023 से एक नया नियम लागू करने वाली है जिसके अंतर्गत 8 साल पुराने कमर्शियल वाहनों का हर साल फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य होगा. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 2 फरवरी को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसके लिए अपत्ति और सुझाव मांगे हैं. इसमें जानकारी दी गई है कि 8 साल से कम उम्र के ट्रक या बस आदि को हर दो साल में एक बार फिटनेस टेस्ट कराना होगा, वहीं 8 साल या उससे पुराने कमर्शियल वाहन का फिटनेस टेस्ट हर साल कराना अनिवार्य होगा. ये फिटनेस टेस्ट सिर्फ लिस्टेड ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन पर कराना जरूरी होगा.
सर्टिफिकेट रिन्यू नहीं कराने पर लगेगा भारी जुर्माना
मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी की मानें तो फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यू नहीं कराने पर भारी जुर्माना किया जाएगा और ऐसे वाहनों को सड़क पर चलने भी नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे वाहन ज्यादा तेल पीते हैं और पर्यावरण के लिए घातक हैं. यही दुर्घटनाओं की वजह भी हैं. इनपर लगाम कसने से यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी और पर्यावरण में सुधार लाया जा सकेगा. बता दें कि कुछ समय पहले 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन और 20 साल पुराने निजी वाहनों को स्क्रैप करने की पॉलिसी पेश की जा चुकी है. ये नया नियम उसी राह में अगला कदम है.
10 राज्यों में बनेंगे I&C सेंटर
स्क्रैपेज पॉलिसी के लिए भारत सरकार फिटनेस टेस्ट के हाइटेक आर एंड सी सेंटर्स 10 राज्यों में स्थापित करने वाली है. इसके लिए केंद्र द्वारा 22 दिसंबर 2021 को नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. इन सेंटर्स पर टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, फोर-व्हीलर, प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट करके सर्टिफिकेट दिया जाएगा और खास स्टिकर्स इन वाहनों पर लगाए जाएंगे. यहां पीयूसी की जांच भी होगी. यहां फिटनेस टेस्ट कराने वाले वाहन और उसके मालिक की तमाम जानकारी सरकारी वेबसाइट पर दी जाएगी. ये वेबसाइट सेंट्रल डेटा से जुड़ी रहेगी और देश के किसी भी राज्य में ऐसे वाहनों की पूरी जानकारी मिल सकेगी. यहां हाइटेक मशीनों द्वारा बॉडी, चेसी, व्हील्स, टायर्स, ब्रेकिंग और स्टीयरिंग के साथ लाइट जैसे कई पुर्जों की जांच की जाएगी.
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