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टैक्स सेविंग एफडी के लिए मिनिमम इन्वेस्टिंग अमाउंट 1000 रुपए और मैक्सिसम 1.5 लाख रुपए हो सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) निवेश का परंपरागत साधन है. इसमें निवेशक (Investors) को कम्पाउंडिंग का बेनिफिट मिलता है. यह सात दिन से लेकर 10 साल तक का हो सकता है. निवेशक जरूरत के हिसाब से अपने लिए अलग-अलग टेन्योर का एफडी खुलवा सकते हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट को टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) भी कहते हैं, क्योंकि उस टर्म के बाद यह मैच्योर हो जाता है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर सेविंग अकाउंट के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलेगा. रेग्युलर एफडी टैक्स सेविंग नहीं होते हैं, लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स में राहत भी मिलती है. आइए टैक्स सेविंग एफडी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
जिस फिक्स्ड डिपॉजिट पर निवेशक को डिडक्शन का लाभ मिलता है, उसे टैक्स सेविंग एफडी कहते हैं. एफडी में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है, जिसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए सालाना है. सरल शब्दों में कहें तो टैक्स सेविंग एफडी की अपर लिमिट 1.5 लाख रुपए है, जबकि रेग्युलर एफडी के लिए अपर लिमिट नहीं है. अलग-अलग बैंकों के लिए लोअर लिमिट 100 रुपए से 1000 रुपए के बीच हो सकती है.
टैक्स सेविंग Fixed Deposits के फीचर्स
टैक्स सेविंग एफडी और रेग्युलर एफडी, दोनों के लिए इंट्रेस्ट रेट कमोबेश बराबर होते हैं. दोनों तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट पर सेविंग अकाउंट के मुकाबले ज्यादा इंट्रेस्ट मिलता है.
सेविंग अकाउंट की इंट्रेस्ट इनकम टैक्सेबल होती है. हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के मुताबिक, एक वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट पर 10 हजार तक इंट्रेस्ट इनकम टैक्स फ्री होती है. उससे ज्यादा इंट्रेस्ट इनकम होने पर एडिशनल अमाउंट पर टैक्स लगता है. यह इनकम फ्रॉम अदर सोर्स से जुड़ जाती है और निवेशक जिस टैक्स ब्रैकेट में आता है, उस हिसाब से टैक्स चुकाना होता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट के इंट्रेस्ट पर भी टैक्स लगता है. यह नियम टैक्स सेविंग एफडी पर भी लागू होता है. एफडी से होनेवाली इंट्रेस्ट इनकम आपकी टोटल इनकम में शामिल हो जाती है और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स जमा करना होता है.
टैक्स सेविंग एफडी के लिए लॉक-इन पीरियड होता है जो 5 साल का होता है. यह इससे ज्यादा भी हो सकता है. टैक्स सेविंग एफडी के लिए मिनिमम इन्वेस्टिंग अमाउंट 1000 रुपए और मैक्सिसम 1.5 लाख रुपए हो सकता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट में इंट्रेस्ट का बेनिफिट दो तरीके से लिया जा सकता है. पहला, इंट्रेस्ट अमाउंट री-इंवेस्ट होता जाएगा और कुल अमाउंट मैच्योरिटी पर मिलेगा. निवेशक चाहे तो मंथली, तिमाही, छमाही और सालाना आधार पर इंट्रेस्ट पा सकता है. टैक्स सेविंग एफडी में निवेश पर तो डिडक्शन का लाभ मिलेगा, लेकिन इंट्रेस्ट पर टैक्स लगता है. अगर इंट्रेस्ट इनकम एक वित्त वर्ष में 40 हजार से ज्यादा होगा तो बैंक TDS काटता है.
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