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महायुद्ध की है आहट: भड़का चीन शांत होने का नाम नहीं ले रहा, भारत ताइवान से खरीदता है ये सब....जानें पूरी डिटेल्स
jantaserishta.com
3 Aug 2022 11:18 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: दुनिया पहले ही पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) में महीनों से जारी जंग की मार झेल रही है. रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच फरवरी महीने से जारी लड़ाई के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन (Global Supply Chain) पर काफी बुरा असर पड़ा है. अब एशिया में युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं. अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) की हालिया ताइवान यात्रा के कारण चीन आग बबूला हो उठा है. अगर हालात नहीं सुधरे तो ताइवान की खाड़ी (Taiwan Straight) में दुनिया की दो महाशक्तियां अमेरिका और चीन के बीच युद्ध शुरू हो सकता है. ऐसा हुआ तो पहले से संकटों में घिरी ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) का कोलैप्स हो जाना लगभग तय है और भारत भी इसके बुरे असर से बचा नहीं रह सकेगा.
व्यापारिक आंकड़ों को देखें तो भारत और चीन के बीच बड़े स्तर पर बाइलैटरल ट्रेड (India China Bilateral Trade) होता है. चीन भारत के सबसे बड़े एक्सपोर्ट एंड इम्पोर्ट पार्टनर्स में से एक है. वहीं चारों ओर से समुद्रा से घिरा छोटा देश ताइवान भी भारत के लिए काफी महत्व रखता है. खासकर चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारत का ताइवान के साथ व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ हुआ है. भारत सेमीकंडक्टर से लेकर मशीनरी तक के लिए ताइवान पर निर्भर है. ताइवान से व्यापार बाधित होने पर भारत के स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक और ऑटो सेक्टर के ऊपर तबाह होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा. ताइवान से भारत (India Import From Taiwan) इलेक्ट्रिकल मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण, प्लास्टिक, मशीन टूल्स और ऑर्गेनिक केमिकल्स खरीदता है. वहीं भारत मिनरल फ्यूल, तिलहन, मक्का, लोहा, स्टील जैसे उत्पाद ताइवान (India Export To Taiwan) को बेचता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल मई महीने में भारत ने ताइवान से 54.76 अरब रुपये के सामान खरीदे. इससे पहले अप्रैल 2022 में ताइवान से भारत का आयात 44.67 अरब रुपये रहा था. साल 1991 से 2022 के दौरान ताइवान से भारत का औसत आयात 11.04 अरब रुपये रहा है. इस साल मई महीने में भारत का ताइवान से आयात अपने ऐतिहासिक उच्च स्तर पर रहा है. अभी जून और जुलाई के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. अप्रैल 1991 में ताइवान से भारत का आयात महज 0.27 अरब रुपये रहा था. यह अब तक के उपलब्ध आंकड़ों में सबसे कम है. आयात के मामले में ताइवान भारत का 20 वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर (Trade Partner) है. भारत लंबे समय से चीन से सबसे ज्यादा आयात करते आ रहा है.
वहीं ताइवान को भारतीय निर्यात की बात करें तो रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मई 2022 में इसका आंकड़ा 12.41 अरब रुपये रहा. यह अप्रैल 2022 के 23.26 अरब रुपये की तुलना में कम है. साल 1991 से 2022 के दौरान ताइवान को औसत भारतीय निर्यात 5.94 अरब रुपये रहा है. यह अक्टूबर 2018 में 51.30 अरब डॉलर रहा था, जो ऐतिहासिक उच्च स्तर है. वहीं सितंबर 1992 में ताइवान को भारत का निर्यात सबसे कम 0.26 अरब रुपये रहा था. ताइवान निर्यात के मामले में भारत का 29वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. भारत से निर्यात करने के मामले में चीन इस साल मई महीने में चौथे स्थान पर रहा था.
भारत में पिछले कुछ समय में ताइवानी कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ी है. विस्ट्रॉन कार्प (Wistron Corp), फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप (Foxconn Technology Group), पेगाट्रॉन कॉर्प (Pegatron Corp), क्वांटा कम्यूपटर इंक (Quanta Computer Inc) जैसी कई ताइवानी कंपनियों ने पिछले कुछ साल के दौरान भारत में प्लांट लगाए हैं. पहले ये कंपनियां मुख्य तौर पर चीन में प्लांट लगाकर प्रोडक्ट बना रही थीं और उन्हें ग्लोबल मार्केट में सप्लाई कर रही थीं.
चीन के साथ ताइवान के संबंधों में आई खटास और चीन में बढ़ती निगरानी के बाद इन कंपनियों ने भारत का रुख किया. आज के समय में तो फॉक्सकॉन यहीं से 'मेड इन इंडिया' आईफोन बना रही है. हालांकि Carnegie India की मानें तो अभी भी भारत में ताइवान की कंपनियों का निवेश काफी कम है. ग्लोबल मार्केट में अभी ताइवान की करीब 11 हजार कंपनियां काम कर रही हैं. इनमें से महज 116 ताइवानी कंपनियों ने ही भारत में पैसे लगाए हैं. भारत में निवेश करने के मामले में ताइवान अभी 32वें स्थान पर है.
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