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अचानक 'पप्पू चायवाला' की दुकान पर चाय पीने पहुंचे PM मोदी, कुल्हड़ बनाने वालों की हुई चांदी

jantaserishta.com
6 March 2022 8:11 AM GMT
अचानक पप्पू चायवाला की दुकान पर चाय पीने पहुंचे PM मोदी, कुल्हड़ बनाने वालों की हुई चांदी
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वाराणसी: राजनीति को लेकर 'चाय पर चर्चा' के लिए मशहूर बनारस में सियासी पारा चढ़ने के साथ कुल्हड़ की मांग भी बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के तहत सोमवार को वाराणसी समेत नौ जिलों की 54 विधानसभा सीट पर मतदान होगा. बनारस में 'चाय पर चर्चा' का दौर बढ़ने साथ ही चाय की दुकानों और खोमचों पर लोगों की भीड़ भी बढ़ गई है. इसकी वजह से चाय विक्रेताओं के साथ-साथ कुल्हड़ निर्माताओं की आमदनी भी बढ़ गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बनारसी शगल' दिखाते हुए शुक्रवार को बनारस के पप्पू चाय वाले की दुकान पर कुल्हड़ में चाय की चुस्कियां ली थीं. शुक्रवार शाम काशी विश्वनाथ धाम से लौटते वक्त मोदी का काफिला अस्सी इलाके में पप्पू चाय वाले की दुकान पर रुका था, जहां उन्होंने कुल्हड़ में चाय पी थी. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नजदीक स्थित इस चाय की दुकान पर प्रधानमंत्री का इंतजार कर रहे थे. चाय पीने के दौरान गले में भगवा गमछा डाले प्रधानमंत्री ने कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत भी की थी.
प्रधानमंत्री के इस अंदाज में बनारस की चाय पर राजनीतिक चर्चा के मिजाज की झलक नजर आई. बहरहाल, चाय पर बढ़ती चर्चा ने बनारस के कुल्हड़ निर्माताओं की आमदनी बढ़ा दी है जिसकी खुशी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है.
पहाड़ी गांव के निवासी कुम्हार बाबू प्रजापति ने कहा कि पिछले एक महीने के दौरान उनके कुल्हड़ों की बिक्री दोगुनी हो गई है. उन्होंने कहा कि पहले जहां 5000 कुल्हड़ बिकते थे, वहीं अब लगभग 10,000 कुल्हड़ों की बिक्री हो रही है. फुलवरिया गांव निवासी अतुल प्रजापति ने भी बताया कि चुनाव के दौरान उनकी कुल्हड़ की बिक्री बढ़ गई है. महमूरगंज के एक चाय विक्रेता ने बताया कि बढ़ती मांग की वजह से उन्हें सही कुल्हड़ नहीं मिल पा रहे हैं और उनकी दुकान पर दिनभर चाय पीने वालों की भीड़ लगी रहती है.
कुल्हड़ विक्रेता कल्लू प्रजापति ने बताया कि हाल के दिनों में कुल्हड़ की बिक्री में करीब 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मांग को पूरा करने के लिए कुल्ड़ह निर्माताओं ने अब हाथ से कुल्हड़ बनाने के बजाय इसे बनाने की मशीन लगा ली है. वाराणसी के आसपास स्थित भट्टी, लोट्टा और शिवपुर कुल्हड़ निर्माण के केंद्र माने जाते हैं.

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