दोस्तों की सक्सेस स्टोरी: लाखों की नौकरी छोड़कर शुरू किया था छोटा-सा बिजनेस, आज है करोड़ों में टर्नओवर
ये 20 साल पुराने दोस्तों की ऐसी सक्सेस स्टोरी है, जिन्होंने एक साथ लोगों को जॉब देने का सपना देखा था. इसके लिए दोनों ने साथ साथ इंजीनियरिंग की, फिर विदेशी कंपनी में लाखों के पैकेज वाली नौकरी की. फिर उनका सपना दोबारा उन्हें साथ लाया और एक साथ लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर एक लाख रुपये में छोटा-सा बिजनेस शुरू किया. गहरी दोस्ती, विश्वास का रिश्ता और आपसी समझ से आज दोनों का बिजनेस टर्नओवर 400 करोड़ रुपये के करीब है. आइए पढ़ें- दोनों की सक्सेस स्टोरी...
RnF टेक्नोलॉजीज के फाउंडर राग़िब खान और फैसल अबीदी की दोस्ती का गहरा रिश्ता एक नजीर है. सॉफ्टवेयर, आईटी रिक्रूटर्स, ऐप डेवलपमेंट और इवेंट्स कराने वाली इस कंपनी को साल 2009 में इन दोनों ने मिलकर शुरू किया था. उन्होंने सबसे पहला इनवेस्टमेंट एक लाख रुपये में किया था, जो आज करीब 400 करोड़ रुपये है. कभी दो कर्मचारी से चलने वाली ये कंपनी आज 417 लोगों को सीधे जॉब दे रही है. aajtak.in से दोनों दोस्तों ने अपना अब तक का सफर साझा किया. राग़िब ने बताया कि हम दोनों स्कूल से एक दूसरे को जानते हैं. फैसल ने कैंब्रिज स्कूल दिल्ली और राग़िब ने सेंट जोंस वाराणसी से 10वीं करने के बाद दोनों ने जामिया सीनियर सेकेंड्री ज्वाइन किया था. एक ही स्कूल में मिले इन दोनों में शुरुआती दिनों में ही दोस्ती हो गई थी. फिर दोनों ने जामिया में इंजीनियरिंग ज्वाइन की. दोनों ने इलेक्ट्रानिक्स 2007 में पास आउट किया. फैसल कहते हैं कि हमने कई चीजें कॉलेज में करनी शुरू कर दी थीं.
फैसल बताते हैं कि इंजीनियरिंग के दौरान ही हम दोनों दोस्त आपस में बात करते थे तो हमेशा ये कहते थे कि हमें जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनना चाहिए. उस दौरान कई आइडियाज पर बात भी की, लेकिन साल 2006 2007 का वो दौर था जब बहुत कम लोग एंटरप्रेन्योर्स बनने का सोचा करते थे. वहीं हमारे परिवार भी मध्यम वर्ग से आते थे. मेरे पिता जहां जामिया में टीचर थे, वहीं राग़िब के पिता मुंबई कंस्ट्रक्शन का काम करते थे. हम दोनों का बिजनेस का बैकग्राउंड नहीं था.
फैसल ने बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद हमें अच्छे ऑफर मिले और लाखों के पैकेज पर हमने नौकरी ज्वाइन कर ली. जहां फैसल ने गूगल में तो वहीं रागिब अमेरिका ऑनलाइन कंपनी में चले गए. राग़िब ने बताया कि दो ढाई साल नौकरी के बाद जब हम मिले तो हम कॉलेज के प्लांस को आगे ले जाने पर बात करने लगे. इसी बातचीत में हमने अपने सपने को जमीन पर उतारने की ठानी. इसी के बाद नवंबर 2009 में दोनों ने बैंगलोर में पहली कंपनी इनकार्पोरेट कराई. फैसल बताते हैं कि ये ई कॉमर्स की कंपनी थी जिसे हमने एक लाख रुपये इनवेस्ट करके शुरू किया था. फिर 2010 में जॉब छोड़कर हमने फुलटाइम करना शुरू किया. यह हमारी खुद की सेविंग से शुरू की गई थी तो हमारा आत्मविश्वास काफी ऊंचा था, हमने तब ही तय किया था कि हम करोड़ो रुपये लोन लिए बिना अपने बिजनेस को बुलंदी पर ले जाएंगे. तब हमने पहला एम्पलाई हायर किया था, जो आज बढ़कर 415 से 417 हो गए हैं.
आज हमारी कंपनी की सिस्टर कंपनीज आईटी सर्विस, गेमिंग, कांफ्रेंस इवेंट्स पर काम करती हैं. हम ई कॉमर्स से आईटी प्लेटफार्म की कंपनी बन चुके थे, हम अमेरिका के क्लाइंट लेकर छोटे लेवल पर इंडिया में वो ही काम कर रहे थे जो इंफोसिस या कोई और आईटी कंपनी करती है. फिर 2013 में हमने गेम बनाने शुरू किए जो यूएस में काफी लोकप्रिय हुए. लेकिन इनकी कंपनी की खास बात ये है कि भले ही उनके क्लाइंट ज्यादातर अमेरिकन हैं, फिर भी उनके सभी एंप्लाई भारतीय हैं. फैसल कहते हैं कि हमने बहुत से ऐसे लोगों को भी जॉब पर रखा जो रिसेशन या अन्य कारणों से अपनी कंपनी से हटाए गए. हम किसी कर्मचारी को हायर करते समय उसकी सीवी से ज्यादा उसकी योग्यता पर ध्यान देते हैं.
फैसल और रागिब कहते हैं कि हमें लगता है कि हम आज जो भी कर पाए उसके पीछे हम दोनों का एक साथ होना है. 20 सालों की दोस्ती में आज ऐसा फेज आ चुका है जहां भाई बहनों से ज्यादा हमारे बीच अंडरस्टैंडिंग हो गई है. अब तो बिना कहे हम एकदूसरे को समझ जाते हैं. हमें लगता है कि हमारे सपने और संघर्ष बिल्कुल एक जैसे हैं. जब हमने अच्छी अच्छी लाखों की नौकरियां और सुविधाएं छोड़ी तब फैमिली भी हमारे फैसलों पर इतना यकीन नहीं कर पा रही थी, लेकिन हम एक दूसरे का संबल बना रहे और आज हमारी सफलता के बाद भी हम न सिर्फ साथ काम करते हैं बल्कि रहते भी हमेशा आसपास हैं. हमारे परिवार और पत्नियां भी एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे हैं.