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मुंबई। मंगलवार को आरबीआई ने अपना मासिक बुलेटिन जारी किया, जिसके अनुसार, स्वस्थ कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट से भारत के विकास की गति आगे बढ़ने की संभावना है, खास कर ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास स्थिर रहने का संकेत है।
हालांकि व्यावसायिक गतिविधि उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कुछ मामूली सुधार दिखा रही है, लेकिन मांग कम बनी हुई है। श्रम बाजार मजबूत बना हुआ है, लेकिन इसमें नरमी के संकेत दिख रहे हैं, खासकर वेतन वृद्धि के मामले में। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में बेरोजगारी दर बढ़ रही है।
आरबीआई बुलेटिन में कहा गया है कि भारत में, वास्तविक जीडीपी दर वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में उच्चतम स्तर पर थी, जो मजबूत गति, मजबूत अप्रत्यक्ष कर और कम सब्सिडी द्वारा संचालित थी। हालांकि, मुद्रास्फीति को लेकर सावधानी बरतने की बात कही गई है। बुलेटिन में कहा गया है, "हालांकि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन खाने पीने की चीजों में मूल्य वृद्धि से 4 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल करना कठिन हो रहा है।"
इसका मतलब यह होगा कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में कमी करने की स्थिति में नहीं होगा। आरबीआई बुलेटिन का एक अन्य लेख भारतीय अर्थव्यवस्था में मौसमी कारकों की बात करता है। यह कहता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर मानसून के मौसम के दौरान कीमतों का दबाव देखा जाता है, जो सब्जियों की कीमतों से प्रेरित होता है, जबकि गर्मियों के महीनों के दौरान फलों की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं।
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