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मंडी में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बिकी सोयाबीन, किसानों को हुआ बंपर मुनाफा

Deepa Sahu
31 Aug 2021 2:58 PM GMT
मंडी में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बिकी सोयाबीन, किसानों को हुआ बंपर मुनाफा
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मंडी में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बिकी सोयाबीन

मौसम की मार के बावजूद सोयाबीन के कई किसानों को भारी मुनाफा हो रहा है. इंदौर मंडी में आज सोयाबीन ₹11,000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिका. जिसके बाद किसानों के चेहरे चमक उठे. जानकारी के मुताबिक इंदौर के किल्लोर गांव के किसान संतोष ठाकुर का 3 क्विंटल सोयाबीन ₹11,000 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिका जबकि एक अन्य किसान विष्णु प्रसाद का सोयाबीन ₹8,300 प्रति क्विंटल के भाव से 5 क्विंटल खरीदा गया.

कम आवक होने की वजह से बढ़ी कीमत
सोयाबीन की आवक बाजार में कम होने की वजह से खरीदारों ने बढ़-चढ़कर बोली लगाई और उन्नत किस्म का सोयाबीन काफी महंगे दाम पर बिका. बीते कुछ सालों में सोयाबीन की आवक कम होने की वजह से इसके दाम आसमान पर पहुंच गए हैं. करीब 3 से 4 साल पहले सोयाबीन का दाम 4 से ₹5,000 प्रति क्विंटल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे बाजार में आवक कम हो रही है वैसे वैसे दाम बढ़ रहे हैं. सोयाबीन की न्यूनतम समथर्न मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुप प्रति क्विंटल है.
इंदौर मंडी में ये नए सोयाबीन की पहली आवक थी, इसलिए इंदौर मंडी में किसानों ने सोयाबीन की आवक पर माला चढ़ाई और अगरबत्ती दिखाकर आरती भी की. उसके बाद की बोली लगनी शुरू हुई. बोली 8,000 से शुरू होकर 11,000 प्रति क्विंटल पर खत्म हुई.





इससे पहले नीमच मंडी में 26 अगस्त को सोयाबीन 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा के भाव पर बिका था. इंदौर मंडी के मंडी निरीक्षक रमेश परमार ने tv 9 हिंदी से बातचीत में बताया कि पहले लॉट में करीब 25 बोरी सोयाबीन मंडी में आई है. मौसम की स्थिति को देखते हुए सोयाबीन की आवक काफी कम है लेकिन इंदौर और रतलाम में कुछ किसानों की फसल अच्छी हुई है, जैसे-जैसे बाजार में आवक बढ़ेगी किसानों को लाभ होगा.

मौसम से बर्बाद भी हुई है सोयाबीन की फसल
मध्य प्रदेश में कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश की वजह से कई फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. कई जिलों में सोयाबीन की फसल भी बर्बाद हुई है. राजधानी भोपाल और आसपास के इलाकों में सोयाबीन की फसल 50 से 60% तक खराब हो चुकी है. बारिश के कारण दूसरे जिलों से भी फसल बर्बाद हुई है.
सोयाबीन की बुवाई के समय बारिश ठीक हुई थी लेकिन अंकुरण के बाद लगभग एक महीने तक बारिश नहीं हुई. फिर जब बारिश शुरू हुई तो पिछले 10 दिन लगातार इतनी बारिश हुई कि खड़ी फसल बर्बाद हो गई.


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