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पत्तेदार और विदेशी सब्जियों के लिए है काफी कारगर है मिट्टी रहित खेती, कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा

Gulabi
17 Dec 2021 1:30 PM GMT
पत्तेदार और विदेशी सब्जियों के लिए है काफी कारगर है मिट्टी रहित खेती, कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा
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पत्तेदार और विदेशी सब्जियों के लिए है काफी कारगर है मिट्टी रहित खेती
बढ़ते प्रदूषण और फसलों में रसायनों को प्रयोग के कारण न केवल मानव शरीर बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग हो गए हैं. हमारे कृषि वैज्ञैानिक भी लगातार नई-नई तकनीकों को विकसित कर इस समस्या का समाधान करने की कोशिश में लगे हैं. इसी कड़ी में छत पर या किचन गार्डन में थोड़ा बहुत कुछ उगाकर सेवन करने की तकनीक भी विकसित की गई है. इसे हाइड्रोपोनिक्स विधि या मिट्टी रहित खेती कहा जाता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके सिंह डीडी किसान से बात करते हुए कहते हैं कि शहरों या उसके आसपास की मिट्टी प्रदूषित हो जाती है. उसमें खेती करने पर उत्पादन नहीं होता और इसे सुधारने में बड़ा वक्त लगता है. ऐसे परिवेश में लोग मिट्टी रहित खेती को अपनाते हैं. डॉ एके सिंह कहते हैं कि मिट्टी रहित खेती को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहने वाले लोग भी कर सकते हैं बशर्ते की धूप वाली बालकनी हो.
दो विधि से होती है यह खेती
फसल उगाने के लिए सबसे जरूरी होता है मिट्टी या जमीन का होना, लेकिन आधुनिक तकनीकों ने इन सीमाओं के परे काम करना शुरू कर दिया है. मिट्टी रहित खेती या हाइड्रोपोनिक तकनीक भी इसी का उदाहरण है. इसे दो तरीके से किया जा सकता है. पहला, घोल विधि और दूसरा माध्यम विधि.
घोल विधि में पौधों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषण तत्वों की मदद से उगाया जाता है. इस तकनीक से नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के ही पौधे उगाए जाते हैं. वहीं माध्यम विधि से मिट्टी की बजाय नमी बनाए रखने के लिए बालू, धान की भूसी, कोकोपिट और पौधों के अपशिष्ट का इस्तेमाल किया जाता है.
व्यवसायिक खेती कर कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा
इन पद्धतियों में नियंत्रित स्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और जरूरी नमी का ध्यान रखा जाता है. इसे मिट्टी रहित खेती के साथ ही जलीय कृषि भी कह सकते हैं. इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता और इन पौधों के लिए कम पानी की जरूरत होती है.
इस विधि से खेती करने पर पौधों में बीमारियों की समस्या नहीं रहती. छोटे स्थान में भी इस विधि से खेती की जा सकती है और पूरे साल हर तरह की फसल प्राप्त की जा सकती है. वहीं इसमें खर-पतवार की समस्या नहीं रहती और पत्तेदार सब्जियों के लिए यह तकनीक काफी कारगर मानी जाती है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि व्यवसायिक रूप से इस खेती में अच्छा मुनाफा मिल जाता है और विदेशी सब्जियां भी उगाई जा सकती हैं.
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