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भारत में शुरू हुआ साइज चार्ट सर्वे, भारतीयों की कद-काठी के हिसाब से मिलेंगे कपड़े, पढ़े पूरी डिटेल्स

jantaserishta.com
27 Aug 2021 6:47 AM GMT
भारत में शुरू हुआ साइज चार्ट सर्वे, भारतीयों की कद-काठी के हिसाब से मिलेंगे कपड़े, पढ़े पूरी डिटेल्स
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कपड़े खरीदते समये सबसे बड़ी मुश्किल साइज का चुनाव करने में आती है. अक्सर देखा जाता है कि US के मीडियम साइज वाले कपड़े भारत के ऊंची लंबी कद-काठी वालों को आते हैं लेकिन अब ये दिक्कत जल्दी ही दूर होने वाली है. भारत के लोगों पर अब एक ऐसा सर्वे किया जा रहा है जिसमें भारतीयों की कद-काठी का माप लेकर उसी हिसाब से देश में कपड़े बनाए जाएंगे. गुरूवार को आधिकारिक तौर पर INDIAsize नाम से भारत सरकार ने एक सर्वे लॉन्च किया.

यूरोप के लोगों से तुलना करें तो भारतीयों की शारीरिक बनावट काफी अलग होती है. भारतीयों की बाजू यूरोपियन्स जितनी लंबी नहीं होती हैं. कई इंटरनेशनल ब्रैंड्स के कपड़े केवल गलत फिटिंग और साइज की वजह से लौटाए जाते हैं जिससे कंपनियों का भी नुकसान होता है. भारतीयों की कद-काठी के हिसाब से कपड़े बनने पर ये सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी.
ये सर्वे कपड़ा मंत्रालय और नेशनल इंस्टीयूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलोजी (NIFT) ने संयुक्त रूप से शुरू किया है. इस सर्वे का उद्देश्य रेडी-टू-वियर कपड़ों के क्षेत्र में भारत के लिए एक नया स्टैंडर्ड साइज चार्ट पेश करना है. वैसे तो इस प्रोजेक्ट की शुरूआत फरवरी 2019 में की गई थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था. फिलहाल ये सर्वे भारत के 6 शहरों में शुरू किया गया जिसमें दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, शिलोंग और हैदराबाद शामिल हैं. अभी सिर्फ 18 देशों के पास उनका अपना साइज चार्ट है. इस सर्वे के बाद भारत भी अपने साइज चार्ट पर काम शुरू कर देगा.
इस सर्वे में शामिल होने वाले प्रतिभागियों का माप 3D बॉडी स्कैनर टेक्नोलोजी के जरिए लिया जा रहा है. ये पूरी तरह सुरक्षित है. सर्वे में राष्ट्रीय आकार सर्वेक्षण के सभी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. 6 सर्वे के नतीजे कुछ महीने में आ जाएंगे और इस पूरे देश में इस सर्वे को 2022 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. नए साइज सर्वे को क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) का समर्थन मिला है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कपड़ों के ब्रांडों को सदस्यता लेने और नए साइज चार्ट का पालन करने की भी योजना है.
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