व्यापार
किसानों को झटका, बंद मंडियों की वजह से पहले से ही नुकसान झेल रहे अन्नदाताओं की कैसे होगी भरपाई, जानिए
Bhumika Sahu
3 Nov 2021 5:28 AM GMT
x
दो महीने पहले महाराष्ट्र की कई मंडियों में सोयाबीन की कीमत 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा थी. लेकिन केंद्र सरकार के सोयामील इंपोर्ट करने के फैसले की वजह से दाम आसमान से जमीन पर आ गया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दीपावली के चलते लगभग सभी छोटी-बड़ी कृषि उपज मंडी समितियां बंद हैं. सोयाबीन के भाव में पिछले तीन दिनों से स्थिरता बनी हुई है. उधर, कारोबारियों ने सोयाबीन के तेल की मांग में तेजी की वजह त्योहार को बताया है. लेकिन बाजार समितियां बंद होने के कारण यह सवाल बना रहता है कि कृषि उपज कहां बेची जाए. मंडियां बंद होने से किसानों को नुकसान हो रहा है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जहां किसान केंद्र या तेल प्रसंस्करण उद्योग हैं वहां किसान अपना सोयाबीन बेच सकते हैं.
पिछले हफ्ते सोयाबीन की कीमत 5,000 रुपये से नीचे आ गई थी. इसलिए तब किसान सोयाबीन भंडारण पर ध्यान दे रहे थे. लेकिन जैसे ही मंडियों को सप्ताह भर तक बंद होने की सूचना आई आवक बढ़ गई. लेकिन एक-दो दिन में ही कोई किसान मंडी में कितनी उपज लाकर बेच सकता है. इसलिए उनकी फसल बिक्री की समस्या जस की तस है. दिवाली के चलते कृषि उपज मंडी समितियां बंद हैं. पिछले हफ्ते सोयाबीन 5,300 रुपये में मिल रहा है. किसान यही उम्मीद कर रहे हैं कि अब इससे ज्यादा भाव न गिरे.
कैसे होगी भरपाई
दो महीने पहले महाराष्ट्र की कई मंडियों में सोयाबीन की कीमत 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा थी. लेकिन केंद्र सरकार के सोयामील इंपोर्ट करने के फैसले की वजह से दाम आसमान से जमीन पर आ गया. सोयाबीन के दो बड़े उत्पादक राज्य हैं मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र. मध्य प्रदेश की हरदा मंडी में इसका न्यूनतम दाम 27 अक्टूबर को सिर्फ 1700 रुपये के स्तर पर रह गया था. जबकि एमएसपी 3950 रुपये प्रति क्विंटल है. महाराष्ट्र की कई मंडियों में भी इन दिनों सोयाबीन का दाम एमएसपी से नीचे ही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि किसानों की मेहनत की भरपाई कैसे होगी. जबकि अतिवृष्टि से पहले ही उनकी फसल को काफी नुकसान हो चुका है.
शुक्रवार से शुरू होगी लातूर बाजार समिति
दिवाली पड़वा के अवसर पर लातूर कृषि उपज मंडी समिति का शुभारंभ किया जाएगा .हालांकि पांच दिन से बंद मंडी समिति अब 10 दिन के लिए बंद है, जिससे किसानों को परेशानी होगी. बाजार समिति शुक्रवार को पड़वा पर्व के रूप में ही चलेगी. शनिवार को फिर से कारोबार बंद रहेगा और सोमवार से नियमित बाजार समिति खुली रहेगी. इसलिए अगर फिलहाल सोयाबीन की बिक्री करनी है तो किसानों को तेल संयंत्रों पर अपनी फसल ले जाना होगा.
Next Story