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भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता BillDesk के शेयरधारकों के बीच बिलडेस्क को 4.7 अरब डॉलर में खरीदने का समझौता

Shiddhant Shriwas
31 Aug 2021 8:45 AM GMT
भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता BillDesk के शेयरधारकों के बीच बिलडेस्क को 4.7 अरब डॉलर में खरीदने का समझौता
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वैश्विक उपभोक्ता इंटरनेट समूह प्रॉसस एनवी ने पेयू भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता बिलडेस्क का करीब 34,376.2 करोड़ रुपए (4.7 अरब डॉलर) में अधिग्रहण करेगी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैश्विक उपभोक्ता इंटरनेट समूह प्रॉसस एनवी (Prosus NV) ने पेयू (PayU) भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता बिलडेस्क (BillDesk) का करीब 34,376.2 करोड़ रुपए (4.7 अरब डॉलर) में अधिग्रहण करेगी. प्रॉसस ने एक बयान में कहा, PayU और भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता BillDesk के शेयरधारकों के बीच बिलडेस्क को 4.7 अरब डॉलर में खरीदने का समझौता हुआ है.

बयान में कहा गया कि प्रस्तावित अधिग्रहण से प्रॉसस के भुगतान और फिनटेक व्यवसाय PayU विश्व स्तर पर अग्रणी ऑनलाइन भुगतान प्रदाताओं में शामिल हो जाएगा. PayU की 20 से अधिक हाई ग्रोथ वाले बाजारों में मौजूदगी है और इसकी कुल भुगतान मात्रा (TPV) 147 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक होगी.

साल 2000 में हुई थी बिलडेक्स

बयान में कहा गया कि इस लेनदेन के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CII) से मंजूरी ली जानी है. BillDesk की स्थापना 2000 में हुई थी. प्रॉसस के समूह सीईओ बॉब वैन डिजक ने कहा, 2005 के बाद से भारत के कुछ सबसे गतिशील उद्यमियों और नए तकनीकी व्यवसायों के साथ सहयोग और भागीदारी के रूप में देश के साथ हमारा एक लंबा और गहरा संबंध है. हमने अब तक भारतीय तकनीक में लगभग छह अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और इस सौदे के साथ यह आंकड़ा 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति और शिक्षा प्रौद्योगिकी के साथ ही पेमेंट और फिनटेक क्षेत्र में Prosus मुख्य रूप से ध्यान दे रहा है और भारत हमारा शीर्ष निवेश गंतव्य बना हुआ है.

बिलडेस्क के सह-संस्थापक एम एन श्रीनिवासु ने कहा कि कंपनी एक दशक से भी अधिक समय से भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में अग्रणी रही है.

श्रीनिवासु ने कहा, प्रॉसस द्वारा किया गया यह निवेश डिजिटल भुगतान के लिए भारत में महत्वपूर्ण अवसर को मान्यता देता है, जो नवाचार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित प्रगतिशील नियामक ढांचे से प्रेरित है.

30 सितंबर तक करना है आवेदन

देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए RBI पेमेंट एग्रीगेटर्स का लाइसेंस दे रहा है. यह लाइसेंस आरबीआई की आने वाली नॉन-बैंक पेमेंट प्रोवाइडर्स रेगुलेटरी प्रणाली के तहत दिए जा रहे हैं. इस लाइसेंस के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा ग्रुप समेत कई कंपनियों ने आवेदन किया है.

पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस पाने के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2021 है. इस तारीख तक मौजूदा और नॉन-बैंक कंपनियां आवेदन कर सकते हैं. ऐसे में अंतिम तारीख खत्म होने तक आवेदन करने वाली कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.

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