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Share Market: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन हरे निशान पर खुला बाजार...सेंसेक्स 50 हजार और निफ़्टी 15000 के करीब

Subhi
21 May 2021 4:10 AM GMT
Share Market: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन हरे निशान पर खुला बाजार...सेंसेक्स 50 हजार और निफ़्टी 15000 के करीब
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Share Market हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन तेजी के साथ खुले। BSE Sensex करीब 350 अंक ऊपर 49,913 अंक पर कारोबार कर रहा था।

Share Market हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन तेजी के साथ खुले। BSE Sensex करीब 350 अंक ऊपर 49,913 अंक पर कारोबार कर रहा था। वहीं इसकी शुरुआत 49,833 अंक पर हुई। Powergrid को छोड़ बाकी शेयरों में अच्‍छी तेजी देखी गई। NSE का निफ्टी 50 भी तेजी के साथ 15000 के आसपास कारोबार कर रहा था।

इससे पहले गुरुवार को शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 338 अंक लुढ़क गया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पिछली बैठक का ब्योरा आने के बाद वैश्विक बाजारों में चिंता के बीच घरेलू शेयर बाजार भी नीचे आ गए थे। बैठक के ब्योरे में बांड खरीद कार्यक्रम में नरमी लाने पर चर्चा की गई। 30 शेयरों पर आधारित BSE Sensex 337.78 अंक यानि 0.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ 49,564.86 पर बंद हुआ। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 124.10 अंक यानि 0.83 प्रतिशत लुढ़क कर 14,906.05 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक नुकसान में ओएनजीसी रही। इसमें 2.70 प्रतिशत की गिरावट आयी। इसके अलावा सन फार्मा, पावरग्रिड, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, कोटक बैंक और नेस्ले इंडिया के शेयरों में भी गिरावट रही। दूसरी तरफ, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इंडसइंड बैंक, टाइटन, एल एंड टी, बजाज फिनसर्व और इन्फोसिस समेत अन्य शेयर लाभ में रहे। इनमें 2.47 प्रतिशत तक की तेजी आयी।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के मुताबिक कमजोर वैश्विक रुख और घरेलू संकेतकों के अभाव में बाजार में गिरावट आई। अमेरिकी शेयर बाजार वाल स्ट्रीट में गिरावट रही। फेडरल रिजर्व की बैठक के ब्योरे जारी होने के बाद ट्रेजरी पर प्रतिफल और डॉलर सूचकांक में उछाल आया। जो ब्योरा सामने आया, उसकी अपेक्षा नहीं की जा रही थी।
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी के अनुसार कोविड-19 मामलों में कमी से निवेशकों को थोड़ा संतोष मिला है। हालांकि एफओएमसी बैठक के ब्योरे के अनुसार सदस्यों के बीच मुद्रास्फीति तथा नरम रुख को लेकर विचारों में अंतर तथा वित्तीय संपत्तियों में उसके मूल्य के मुकाबले अधिक तेजी को लेकर ईसीबी (यूरोपीयन सेंट्रल बैंक) की चेतावनी का असर भारत समेत वैश्विक बाजारों पर पड़ा है।


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