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अभी तक खरीफ समेत सभी फसलों के उत्पादन में गिरावट का एकमात्र कारण बेमौसम बारिश है
अभी तक खरीफ समेत सभी फसलों के उत्पादन में गिरावट का एकमात्र कारण बेमौसम बारिश है. बारिश से फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ हैं लेकिन अब इसका असर हर चीज़ की कीमतों पर पड़ रहा हैं इस साल तिल के उत्पादन में भी 25 फीसदी की कमी आई.इसलिए मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर तिल के भाव में वृद्धि जारी रहेगी. किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए एक या अधिक विकल्पों को अपनाता हैं लेकीन देश में तिल की पैदावार घट रही है क्योंकि प्रति एकड़ उपज अन्य फसलों की तुलना में कम हैं नतीजतन, राज्य में तिल के दाम पिछले चार महीनों में 40 रुपये बढ़कर 50 रुपये हो गया हैं अनुमान है कि इस साल सिर्फ 3 लाख 25 हजार मीट्रिक टन का ही उत्पादन हो सकता हैं.
बेमौसम बारिश ने तिल की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया हैं.बारिश से न केवल उत्पादन कम हुआ है बल्कि तिल की गुणवत्ता भी कम हो गई हैं तो वही बारिश के कारण हल्के और निम्न गुणवत्ता वाले तिल के उत्पादन में वृद्धि भी हुई हैं. ऐसे में मकर संक्रांति के त्योहार में अच्छे गुणवत्ता वाले तिल की अधिक मांग रहती हैं.तिल का उत्पादन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा समेत महाराष्ट्र इन राज्यों में उगाया जाता हैं.
तिल के उत्पादन में 25 फीसदी की कमी
हालांकि बारिश के कारण तिल के घरेलू उत्पादन में गिरावट आई है, लेकिन अन्य तिल उत्पादक देशों में भी उत्पादन में गिरावट देखी जा रही हैं देश में लगभग 5 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होने की उम्मीद हैं हालांकि इसमें 25 फीसदी की कमी की आ सकती हैं वही अफ्रीका से तिल का आयात भी बंद हो गए हैं. इतना ही नहीं आयात-निर्यात के लिए जरूरी कंटेनरों का किराया भी बढ़ा दिया गया है.कुल मिलाकर, तिल की वैश्विक मांग अधिक है और उत्पादन कम हैं तो अगले महीने आने वाले मकर संक्रांति में लोगों को तिल के दुगने पैसे देने पड़ सकते हैं.
इस वजह है सफेद तिल की डिमांड रहती हैं
मकर संक्रांति पर्व के दौरान तिल की मांग तो रहती है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व हैं सफेद तिल में हेल्दी आयरन, कॉपर, विटामिन बी6 पाया जाता हैं यह रक्त कोशिकाओं को आसानी से बनाने और कार्य करने की अनुमति देता हैं काले तिल में एंटी-एजिंग गुण होते हैं और यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता हैं इसके अलावा, तिल फाइबर का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करता हैं विशेषज्ञों का कहना इसिलए काले तिल के साथ साथ सफेद तिल की भी मांग रहती हैं.
तिल की कीमतों में लगतार होती रही हैं बढ़ोतरी
महीना – एक किलो की दर
जुलाई – 95 – 125 रु
अगस्त – 100 – 130 रु
सितंबर – 110 – 140 रु
अक्टूबर – 125 – रु
नवंबर – 130 – 165 रु
दिसंबर – 130 – 170 रु
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Gulabi
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