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रूस से बढ़ते खतरे को देख टेंशन में यूक्रेन, भारत ये चीजें खरीदता है

jantaserishta.com
22 Feb 2022 5:48 AM GMT
रूस से बढ़ते खतरे को देख टेंशन में यूक्रेन, भारत ये चीजें खरीदता है
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India-Ukraine Bilateral Trade: यूक्रेन (Ukraine) को लेकर बने जंग के हालात हालिया घटनाक्रमों के बाद चरम पर पहुंच चुके हैं. रूस (Russia) ने पूर्वी यूक्रेन (Eastern Ukraine) को अलग देश की मान्यता दे दी है और इसके बाद अमेरिका (US) ने आर्थिक पाबंदियां लगाने का ऐलान कर दिया है. सामरिक मामलों के जानकार बता रहे हैं कि सोवियत संघ (Soviet Union) और अमेरिका के बीच कोल्ड वॉर (Cold War) समाप्त होने के बाद पहली बार जंग का खतरा इतना गंभीर हुआ है. इस खतरे से सबसे बुरा असर ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) पर पड़ रहा है, जो पहले से ही कोविड महामारी के चलते खस्ताहाल है. भारत भी जंग के इस संकट से अछूता नहीं है और इससे देश के आयात-निर्यात पर खराब असर पड़ सकता है.

रूस और अमेरिका यूक्रेन संकट का समाधान निकालने के लिए पहले बैठक करने वाले थे. हालांकि बाद में प्रस्तावित बैठक अधर में लटक गई. मंगलवार अहले सुबह रूस के प्रेसीडेंट व्लादिमिर पुतिन (Russia President Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों Donetsk और Lugansk को अलग देश की मान्यता दे दी. अमेरिका ने इसके जवाब में रूस के ऊपर आर्थिक पाबंदियां (US Sanctions) लगाने का ऐलान कर दिया. इन आक्रामक गतिविधियों ने जंग के खतरे को इस कदर बढ़ा दिया है कि अब लोगों को तीसरे विश्व युद्ध (3rd World War) का डर सताने लगा है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं सामरिक मामलों के एक्सपर्ट डॉ सुधीर सिंह (Dr Sudhir Singh) कहते हैं कि इस विवाद ने भारत के लिए कूटनीतिक परेशानियां खड़ी कर दी हैं. भारत अभी तक यही कह रहा है कि मसले को बातचीत से सुलझाना चाहिए. तनाव अधिक बढ़ जाने और व्यापक युद्ध की स्थिति बन जाने पर भारत को अपना स्टैंड लेना होगा. ऐसे में अमेरिका या रूस में से किसी का भी पक्ष लेना दूरगामी प्रभाव डाल सकता है. आर्थिक तौर पर भी भारत के सामने कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं. भारत कच्चा तेल (Crude Oil) के मामले में आयात पर काफी निर्भर है और रूस इसके प्रमुख सप्लायर में से एक है. जंग के खतरे से कच्चा तेल फिर 100 डॉलर के लेवल को पार करने की कगार पर है. महंगा कच्चा तेल भारत का आयात बिल बढ़ाएगा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में कमी आएगी. यह महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर भी मुश्किल हालात पैदा करेगा. इसके अलावा यूक्रेन में काफी संख्या में भारतीय विद्यार्थी मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. जंग की आशंका के चलते भारत के सामने इन विद्यार्थियों को सुरक्षित वहां से निकालने की जरूरत आ गई है.
भारत में यूक्रेन के दूतावास (Ukraine Embassy in India) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देशों के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार (India Ukraine Bilateral Trade) हुआ था. इसमें भारत ने यूक्रेन से 1.97 बिलियन डॉलर की खरीदारी की, जबकि यूक्रेन ने भारत से 721.54 मिलियन डॉलर के सामान खरीदे. यूक्रेन भारत को खाने वाले तेल (Fat&Oil of Veg Origin), खाद (Fertiliser) समेत न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर (Nuclear Reactor & Boiler) जैसी जरूरी मशीनरी सप्लाई करता है. वहीं यूक्रेन भारत से दवाएं और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे सामान खरीदता है.
ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में भारत ने यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल की खरीद की. इसी तरह भारत ने यूक्रेन से करीब 210 मिलियन डॉलर का फर्टिलाइजर और करीब 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर मंगाया. न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले में भारत के लिए रूस के बाद यूक्रेन सबसे बड़े सप्लायर में से एक है. जंग होने पर इसकी आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे न्यूक्लियर एनर्जी पर भारत का काम धीमा हो सकता है.
भारत और यूक्रेन का आपसी व्यापार रूस के साथ संबंधों के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है. पिछले कुछ साल के ट्रेंड से यह साफ पता चलता है. साल 2014 में क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव बढ़ने से पहले दोनों देशों का आपसी व्यापार 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का था. तनाव के बाद 2015 में यह महज 1.8 बिलियन डॉलर पर आ गया था. बाद में यूक्रेन के साथ आपसी व्यापार कुछ सुधरा भी, लेकिन अभी भी यह पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाया है. अभी तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है. निश्चित ही इससे आयात-निर्यात पर बुरा असर पड़ने वाला है.
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