मुंबई: बचत खाते में पैसा जमा कराने के बजाय लोगों की दिलचस्पी अब सावधि जमा (FD) में बढ़ रही है। पिछले साल सितंबर में बचत खाते (Saving Acount) में पैसा जमा करने की दर 14.5 फीसदी थी, जो इस साल घटकर 9.4 फीसदी रह गई है। वहीं, एफडी कराने वालों की दर पिछले साल 6.4 फीसदी के मुकाबले बढ़कर अब 10.2 फीसदी हो गई है। लिक्विडिटी की स्थिति और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण चालू खातों और बचत खातों में पैसा जमा कराने की दर साल दर साल तेजी से कम हुई है। चालू खातों में भी पैसा जमा करने की दर पिछले साल 17.5 फीसदी थी, जो इस सितंबर में घटकर 8.8 फीसदी हो गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक, कुल जमा में बचत जमा का हिस्सा जून 2019 में 32.4 फीसदी से बढ़कर जून 2022 में 35.2 फीसदी के शिखर पर पहुंच गया था। हालांकि, सितंबर में यह मामूली रूप से घटकर 34.7 फीसदी हो गया। आरबीआई ने चालू जमा खाता में ट्रेंड का वर्णन नहीं किया है।
प्रमुख बैंक अवधि एफडी पर ब्याज दर
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
555 दिन 6.5 फीसदी
999 दिन 6.25 फीसदी
7-10 वर्ष 3 से 6.15 फीसदी
करूर वैश्य बैंक:
555 दिन 7.25 फीसदी
2-3 वर्ष 7 फीसदी
3 से अधिक वर्ष 6.25 फीसदी
एसबीआई:
1 साल 6.1 फीसदी
2 साल 6.25 फीसदी
3 से 5 साल 6.1 फीसदी
एचडीएफसी:
18 महीने से 5 साल 6.5 फीसदी
एक साल 6.1 फीसदी
एफडी दरों में वृद्धि की उम्मीद:
निजी क्षेत्र के बैंक एफडी जुटाने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, विदेशी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पीछे छोड़ रहे हैं। इस बीच, वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के विश्लेषण में रेटिंग एजेंसी कारएज ने कहा, एफडी दरों में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि लिक्विडिटी के मुद्दों की वजह से उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ने के आसार हैं।
अगली कुछ तिमाहियों में चालू खाता व बचत खाता की तुलना में एफडी के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, जिन बैंकों के पास चालू खाता व बचत खाता का हिस्सा और फ्लोटिंग लोन का अनुपात अधिक है, उन्हें मौजूदा बढ़ती ब्याज दर के परिदृश्य में एनआईएम का लाभ और सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।