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सेबी लगातार अलग-अलग कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटा है. इसी कड़ी में अब सेबी ने गलत व्यापार नियमों के उल्लंघन के आरोप में अगली सूचना तक EROS INTERNATIONAL MEDIA, उसके प्रमोटरों और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रदीप कुमार द्विवेदी को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है. पूंजी बाजार नियामक ने उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुनील अर्जन लुल्ला को इरोज इंटरनेशनल या उसकी सहायक कंपनियों सहित किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में कोई भी निदेशक पद संभालने से रोक दिया है.
सेबी ने द्विवेदी को इरोज इंटरनेशनल के अलावा किसी भी सूचीबद्ध फर्म में कोई भी निदेशक पद संभालने से रोक दिया है. इरोज वर्ल्डवाइड एफजेड और इरोज डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड को अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजारों तक पहुंच से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
सेबी ने नियुक्त किया फॉरेसिक ऑडिटर
सेबी ने इस मामले की जांच करने के लिए एक फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया है कि क्या कंपनी से धन निकाला गया है अभी इसकी जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है. सेबी ने ऑडिटर को कंपनी के खातों की जांच करने के लिए एक फोरेंसिक ऑडिटर भी नियुक्त किया है. यह आदेश कंपनी के वित्तीय विवरणों की जांच के बाद आया है, जिसमें कथित तौर पर संख्याओं की गलत बयानी और/या धन की हेराफेरी का संकेत मिला है.
आम शेयरधारकों की रक्षा करना जरूरी
सेबी ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि सेबी द्वारा शुरू की गई विस्तृत जांच के पूरा होने तक, सार्वजनिक शेयरधारकों के हितों के साथ-साथ सामान्य निवेशकों के हितों की रक्षा करने और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए एक अंतरिम एकपक्षीय आदेश पारित करने की आवश्यकता है जिससे आगे ऐसा कोई फंड की हेराफेरी ना हो सके.
वित्त वर्ष 2019-20 में, इरोस इंटरनेशनल मीडिया ने 'कंटेंट एडवांस', 'फिल्म राइट्स' के लिए ₹1,553.52 करोड़ का प्रावधान किया. उसी वर्ष, कंपनी ने लिखा कि उसे ₹519.98 करोड़ ऑफ ट्रेड राशि प्राप्त हुई है.
कई तरह की पाई गई अनियमित्ताएं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने बयानों की जांच की और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट (पीईआर) सेबी को भेज दी. अधिकारियों ने देखा कि ऑपरेशन ट्रेड और दिए गए लोन से जो पैसा दिया गया था वो ज्यादातर पार्टी लेनदेन थे. उनमें उस वित्तीय वर्ष 2020 में काफी इजाफा हुआ था. लेन-देन से संकेत मिलता है कि कंपनी वित्तीय गलत रिपोर्टिंग या धन की हेराफेरी/डायवर्जन में संलग्न थी. सेबी ने कहा, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी ने संभावित फर्जी संस्थाओं से प्राप्त होने वाले राजस्व को रिकॉर्ड करके और बाद में इन संस्थाओं को अपने स्वयं के फंड को राउंड ट्रिपिंग करके पहले से ही मान्यता प्राप्त राजस्व के खिलाफ भुगतान करने में सक्षम बनाकर अपने खातों की पुस्तकों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया.
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