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अगर सेबी इस आइडिया पर आगे बढ़ता है तो भविष्य में जब भी कोई नया कमोडिटी कॉन्ट्रेक्ट लॉन्च होगा तो उसे लिस्ट करने का अधिकार किसी एक एक्सचेंज को ही होगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिस तरह वैश्विक स्तर पर पाम ऑयल का रेट देखना है तो आप मलेशिया के बुर्सा डेरिवेटिव एक्सचेंज का रुख करते हैं और कपास का ग्लोबल प्राइस जानने के लिए आप इंटरकॉन्टिनेंटल एक्चेंज पर देखते हैं, ठीक ऐसा ही भारत में भी संभव हो सकता है. इस दिशा में सेबी ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. सेबी ने इस प्रस्ताव पर रेग्युलेटर ने लोगों से सुझाव मांगे हैं.
अभी तक भारत में मुख्य तौर पर 2 बड़े कमोडिटी एक्चेंज हैं जिन पर अलग-अलग कमोडिटी का कारोबार होता है. सोने-चांदी सहित कच्चे तेल का भाव जानना हो तो MCX है और ग्वार चना जैसी एग्री कमोडिटीज के लिए NCDEX है, लेकिन कई बार दोनों ही एक्सचेंज कुछ कमोडिटीज में ट्रेड कराते आए हैं और अधिकांश मामलों में यह प्रयोग असफल रहा है.
'वन एक्सचेंज-वन कमोडिटी' पर सेबी ने 7 जनवरी तक मांगे हैं सुझाव
सेबी जब भी किसी नई कमोडिटी में डेरिवेटिव ट्रेड की अनुमति देता है तो हर एक्सचेंज में उसका कॉन्ट्रेक्ट लॉन्च करने की होड़ मच जाती है, जिससे लिक्विडिटी बंटती है. इससे कमोडिटी कॉन्ट्रेक्ट असफल होने की आशंका बढ़ जाती है. इसी का तोड़ निकालने के लिए सेबी 'वन एक्सचेंज-वन कमोडिटी' के आइडिया के साथ सामने आया है, और 7 जनवरी तक जनता से इस पर राय मांगी है
कॉन्ट्रेक्ट के सफल होने की बढ़ेगी संभावना
अगर सेबी इस आइडिया पर आगे बढ़ता है तो भविष्य में जब भी कोई नया कमोडिटी कॉन्ट्रेक्ट लॉन्च होगा तो उसे लिस्ट करने का अधिकार किसी एक एक्सचेंज को ही होगा. एक कमोडिटी का एक ही एक्सचेंज पर कॉन्ट्रेक्ट होगा तो ट्रेडर्स भी उसमें ट्रेड के लिए उसी एक्सचेंज पर आएंगे, इससे कॉन्ट्रेक्ट के सफल होने की संभावना तो बढ़ेगी, एक्सचेंज का भी नाम होगा, साथ में किसी भी बड़ी कमोडिटी का इंटरनेशनल भाव तय करने में भारतीय एक्सचेंजों का रोल भी बढ़ेगा. हालांकि सेबी ने यह भी क्लीयर कर दिया है कि यह प्रयोग सिर्फ कृषि आधारित कमोडिटीज पर होगा.
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