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सेबी डीलिस्टिंग नियमों की समीक्षा कर रही है. SEBI चेयरमैन माधबी पुरी बुच ने बताया कि जल्द इसको लेकर नए कंसल्टेशन पेपर जारी किए जाएंगे. हालांकि, उन्होंने कहा अभी इस पर कुछ भी कहना बहुत जल्दाबाजी होगा. आपको बता दें कि एक्सचेंज से कंपनी के शेयर को हटाने की प्रक्रिया डीलिस्टिंग कहलाती है. अगर आसान शब्दों में कहें तो डीलिस्ट के बाद शेयर एक्सचेंज में ट्रेड नहीं हो सकता है. डीलिस्टिंग कंपनी मैनेजमेंट की मर्जी या नियमों की अनदेखी करने पर हो सकती है.
डीलिस्टिंग में शेयर बाजार से कंपनी का स्टॉक बाहर हो जाता है. जिन्होंने शेयर खरीदे है. निवेशकों से कंपनी उन्हें वापस खरीदती है.
डीलिस्टिंग के अभी के नियम क्या है?
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कंपनी डीलिस्टिंग के लिए फ्लोर प्राइस तय करती है. फ्लोर प्राइस यानी वो न्यूनतम रकम जिस पर शेयर वापस ख़रीदा जाएगा. फ्लोर प्राइस के बाद रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया शुरू होती है. रिवर्स बुक बिल्डिंग यानी वो भाव जिस पर निवेशक कंपनी को शेयर बेचना चाहता है. रिवर्स बुक बिल्डिंग का औसत भाव डिलिस्टिंग भाव बनता है.
डीलिस्टिंग क्यों- मैनेजमेंट को लगता है कि शेयर की वैल्युएशन ठीक नहीं है या फिर नियमों की अनदेखी के चलते रेग्युलेटरी बैन कंपनी लगा दिया गया है. इसके अलावा लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन करने पर डीलिस्टिंग होती है.
अब क्या होगा- CNBC TV18 को मिली जानकारी के मुताबिक, सेबी डीलिस्टिंग नियमों की समीक्षा कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि डीलिस्टिंग के लिए फिक्सड प्राइस पर काम हो सकता है. अगर डीलिस्टिंग का पहला प्रयास विफल हो जाता है तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. डीलिस्टिंग के लिए रिवर्स बुक बिल्डिंग से जुड़ी समस्याओं को लेकर समीक्षा हो रही है. अगस्त में इस पर कंसल्टेशन पेपर जारी हो सकते है.
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