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सेबी ने मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी पर लगाया 25 करोड़ रुपए का जुर्माना...जानिए क्या है मामला?

Triveni
8 April 2021 2:14 AM GMT
सेबी ने मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी पर लगाया 25 करोड़ रुपए का जुर्माना...जानिए क्या है मामला?
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मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी, उनके छोटे भाई अनिल अंबानी और अन्य व्यक्तियों एवं इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया.

मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी, उनके छोटे भाई अनिल अंबानी और अन्य व्यक्तियों एवं इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया. सेबी ने दो दशक पुराने मामले में अंबानी परिवार पर जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) से जुड़े मामले में अधिग्रहण नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है. जिन अन्य लोगों पर जुर्माना लगाया गया है, उनमें नीता अंबानी (Nita Ambani), टीना अंबानी (Tina Ambani), के डी अंबानी (KD Ambani) और परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं. नीता मुकेश अंबानी की पत्नी है जबकि टीना अनिल अंबानी की पत्नी हैं.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपने 85 पन्नों के आदेश में कहा कि आरआईएल (RIL) के प्रवर्तकों और पीएसी (मिली-भगत से काम करने वाले लोग) 2000 में कंपनी में 5 फीसदी से अधिक के अधिग्रहण के बारे में खुलासा करने में विफल रहे.
2005 में मुकेश और अनिल बिजनेस का बंटवारा कर हो गए थे अलग
मुकेश और अनिल कारोबार का बंटवारा कर 2005 में अलग हो गये थे. आदेश के अनुसार आरआईएल के प्रवर्तकों ने 2000 में कंपनी में 6.83 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. यह अधिग्रहण 1994 में जारी 3 करोड़ वारंट को बदलकर किया गया था.
सेबी के अनुसार आरआईएल प्रवर्तकों ने पीएसी के साथ मिलकर गैर-परिवर्तनीय सुरक्षित विमोच्य डिबेंचर से संबद्ध वारंट को शेयर में बदलने के विकल्प का उपयोग कर 6.83 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. यह अधिग्रहण नियमन के तहत निर्धारित 5 फीसदी की सीमा से अधिक था.
आदेश के इस मामले में उन्हें 7 जनवरी, 2000 को शेयर अधिग्रहण की सार्वजनिक तौर पर घोषणा करने की जरूरत थी. पीएसी को 1994 में जारी वारंट के आधार पर इसी तारीख को आरआईएल के इक्विटी शेयर आबंटित किये गये थे.
नियमों का किया उल्लंघन
हालांकि सेबी ने पाया कि प्रवर्तकों और पीएसी ने शेयर अधिग्रहण के बारे में कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की. अत: उन्होंने अधिग्रहण नियमों का उल्लंघन किया.
सेबी के नियमों के तहत प्रवर्तक समूह ने किसी भी वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत से अधिक वोटिंग अधिकार का अधिग्रहण किया है, उसके लिये जरूरी है कि वह अल्पांश शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश करे.
सेबी ने कहा कि संबंधित लोगों और इकाइयों को जुर्माना संयुक्त रूप से और अलग-अलग देना है.


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