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जयादातर सदस्य निदेशक मंडल के निदेशक होंगे. अधिसूचना में और भी कई तरह के बदलवों का उल्लेख किया गया है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) ने कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस और सूचनाओं के खुलासे की व्यवस्था को मजबूत करने उद्देश्य से कुछ नये नियम अधिसूचित किये हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि शीर्ष 1,000 लिस्टेड कंपनियों को अनिवार्य रूप से अपनी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी (Dividend Distribution Policy) बनानी होगी. सेबी द्वारा 5 मई को जारी अधिसूचना में उसने प्रयोज्यता, संविधान और रिस्क मैनेजमेंट कमिटी की भूमिका और सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में एक प्रमोटर के पुन: वर्गीकरण को आसान बनाने के लिए नई नीति तैयार की है.
उसने एनालिस्ट और इन्वेस्टर की बैठकों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है. यह रिकार्डिंग कंपनी को अगले कारोबारी दिवस अथवा 24 घंटे के भीतर शेयर बाजारों को भी उपलब्ध करानी होगी. उसने व्यावसायिक जिम्मेदारी और निरंतरता रिपोर्ट के बारे में भी नियम अधिसूचित किये है.
5 मई से प्रभावी हुआ नया नियम
सेबी ने दरअसल लिस्टिंग ऑफ ऑबलिगेशन और डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) नियमों में संशोधन किया है. यह नए नियम 5 मई से प्रभावी हो गए हैं.
अधिसूचना में सेबी ने कहा है कि बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1,000 लिस्टेड कंपनियों के लिए डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी बनाना अनिवार्य होगा. इससे पहले शीर्ष 500 कंपनियों के लिए यह नियम लागू था.
सेबी ने कहा है कि अन्य सूचीबद्ध कंपनियां स्वैच्छिक आधार पर अपनी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी को अपनी वेबसाइट पर डाल सकती है अथवा उसके लिये वार्षिक रिपोर्ट में वेब-लिंक उपलब्ध करा सकती हैं.
आरएमसी में होंगे कम से कम तीन सदस्य
इसके साथ ही रिस्क मैनेजमेंट कमिटी (RMC) गठित करने की आवश्यकता को भी मौजूदा शीर्ष 500 लिस्टेड कंपनियों से बढ़ाकर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1,000 कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. आरएमसी में कम से कम तीन सदस्य होंगे जिनमें कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक होगा और जयादातर सदस्य निदेशक मंडल के निदेशक होंगे. अधिसूचना में और भी कई तरह के बदलवों का उल्लेख किया गया है.
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