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आम उत्पादकों के लिए वैज्ञानिकों की चेतावनी, जानिए क्या हो सकता है नुकसान
Shiddhant Shriwas
29 Sep 2021 5:25 AM GMT
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केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने बताया कि किसान नियमित रूप से फल पैदा करने की लालच में पैक्लोब्यूट्राजाल नामक रसायन का ज्यादा कर रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), लखनऊ को बाग मालिकों से शिकायतें मिल रही हैं कि उनके बाग के ठेकेदार बिना उनकी जानकारी के अत्यधिक पैक्लोब्यूट्राजाल (Paclobutrazol) का उपयोग कर रहे हैं, जिससे पौधों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है. वे चिंतित हैं कि क्योंकि इससे आम के बाग की आयु भी कम हो सकती है. वे प्रमाणिक आधार पर जानना चाहते हैं कि ठेकेदार ने अत्यधिक मात्रा में केमिकल का इस्तेमाल किया या नहीं.
ठेकेदार अधिक से अधिक लाभ कमाने में रुचि रखता है क्योंकि वे परंपरागत रूप से दो से तीन साल के लिए आम (Mango) के बाग को पट्टे पर लेते हैं और अधिक पैक्लोब्यूट्राजाल प्रयोग करने में भी परहेज नहीं करते हैं. लेकिन किसान रसायन के अति प्रयोग के कारण पौधों के स्वास्थ्य के बारे में अधिक चिंतित हैं. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र राजन ने इस बात की जानकारी दी.
डॉ. राजन ने बताया कि उत्तर भारत की सभी महत्वपूर्ण आम की किस्में, जैसे दशहरी, चौसा और लंगड़ा, अनियमित रूप से फलती हैं. एक साल जब फसल भरपूर होती है तो किसान अच्छा पैसा कमाते हैं, लेकिन अगले साल कम फसल के कारण उन्हें नुकसान होता है. इसलिए किसान नियमित रूप से फल पैदा करने के लिए पैक्लोब्यूट्राजाल नामक रसायन का तेजी से उपयोग कर रहे हैं. उचित मात्रा में प्रयोग किसान के लिए हितकर है, लेकिन अधिक मात्रा का इस्तेमाल आम की खेती (Mango Farming) और लोगों दोनों के लिए हानिकारक है.
संतुलित इस्तेमाल की सलाह
संस्थान आम के बागों में पैक्लोब्यूट्राजाल के उचित उपयोग करने को सलाह देता है. मिट्टी और पौधों की प्रणाली में पैक्लोब्यूट्राजाल के अवशेषों का पता लगा सकता है. संस्थान के एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. वीके सिंह रसायन की न्यूनतम संभव मात्रा के साथ नियमित फसल पैदा करने की तकनीकों पर शोध कर रहे हैं.
पौधों और मनुष्य दोनों के लिए नुकसानदायक
राजन ने बताया कि पैक्लोब्यूट्राजाल के अत्यधिक उपयोग से पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जब पेड़ों पर उचित मात्रा में रसायन प्रयोग किया जाता है, तो फलों (Fruits) में अवशेष नगण्य होता है. शोध से ज्ञात हुआ है कि जब किसान अधिक मात्रा में रसायन का उपयोग करते हैं, तो फलों में अवशेष न्यूनतम मान से अधिक पाए जा सकते हैं.
कब शुरू हुआ इस रसायन का इस्तमाल?
डॉ. शैलेंद्र राजन ने बताया कि भारत में पैक्लोब्यूट्राजाल का व्यावसायिक उपयोग पिछली शताब्दी के अस्सी के दशक में शुरू हुआ. विशेष रूप से कोंकण क्षेत्र में, जहां अल्फांसो प्रमुख किस्म है. अल्फांसो (Alphonso) एक अनियमित फलने वाली किस्म है और किसानों को एक साल के अंतर पर अच्छा लाभ मिलता है. लेकिन पैक्लोब्यूट्राजाल ने नियमित फलन को प्रेरित करके इस समस्या को हल किया.
Mango Farming Cish
आम के बागों में कीटनाशक के संतुलित इस्तेमाल की जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक.
इन प्रदेशों में ज्यादा हो रहा इस्तेमाल
वर्तमान में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु के आम के बागों में पैक्लोब्यूट्राजाल का खूब प्रयोग किया जा रहा है. कई जगहों पर इसके अत्यधिक उपयोग से बागों के स्वास्थ्य में चिंताजनक गिरावट आई है. रसायनों के अत्यधिक उपयोग से वानस्पतिक वृद्धि में अत्यधिक कमी और पेड़ों का सूखना आमतौर पर देखने को मिल रहा है.
यूपी में भी हो रहा इस्तेमाल
देश के उत्तरी भागों में पैक्लोब्यूट्राजाल का प्रयोग बहुत पुराना नहीं है और चौसा जैसी किस्मों में इसके प्रयोग के उत्साहजनक परिणामों को देखने के बाद, किसान अब नियमित रूप से उत्तर प्रदेश में भी इसका उपयोग कर रहे हैं. पैक्लोब्यूट्राजाल का उचित उपयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि असामयिक और अनुचित प्रयोग से पौधों के लिए स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.
नुकसान का कारण बन सकता है ऐसा करना
डॉ. राजन का कहना है कि इसका समय से पहले इसका उपयोग फसल के नुकसान का मुख्य कारण है, क्योंकि जल्दी बौर का निकलना मलिहाबाद और अन्य क्षेत्रों में पाया जा रहा है. लखनऊ जैसे उपोष्ण क्षेत्रों में आम के बागों के लिए दिसंबर और जनवरी में जल्दी बौर निकलना एक समस्या बन रहा है. किसान अनजाने में अनुचित समय पर रसायन का प्रयोग कर रहे हैं.
कब करना चाहिए इस्तेमाल?
इस रसायन को अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रयोग किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ किसान अगस्त में ही पैक्लोब्यूट्राजाल डाल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप ठंड के महीनों में ही बौर आने लगते हैं. इसका लाभ उठाने के लिए किसानों को पैक्लोब्यूट्राजाल प्रयोग पर उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की आवश्यकता है. विवेकपूर्ण उपयोग न केवल उनके लिए किफायती होगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है.
किसानों को दी गई संतुलित इस्तेमाल की सलाह
बागवानों की समस्याओं को देखते हुए संस्थान द्वारा मलिहाबाद क्षेत्र के अंतर्गत भरावन में आम के बागों में पैक्लोब्यूट्राजाल के प्रयोग पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मलिहाबाद क्षेत्र के किसानों ने शिरकत की. गोष्ठी में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वीके सिंह ने आम की बागवानी में पैक्लोब्यूट्राजाल का उचित समय पर प्रयोग एवं उपयोग पर किसानों से विस्तृत जानकारी दी. जबकि कीट वैज्ञानिक डॉ. गुंडप्पा ने कीट का प्रकोप एवं इसके रोकथाम पर चर्चा की.
Shiddhant Shriwas
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